उज्जैन। मध्य प्रदेश की नवनिर्वाचित मोहन सरकार को प्रदेश की कमान संभालते ही वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार ने महाकाल परिसर विकास और तीर्थ दर्शन जैसी योजनाओं में व्यय करने पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं वित्तीय संकट से जूझ रही मध्य प्रदेश सरकार ने 38 विभागों की योजनाओं पर ब्रेक लगा दिया है। सरकार ने इसके आदेश भी विभागों को भेज दिए हैं। बता दें, वर्तमान स्थिति में मध्यप्रदेश सरकार पर 331000 करोड रुपये से अधिक का कर्ज है।
हालांकि राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति के अनुसार वे अभी भी 15000 करोड़ रुपये का कर्ज ले सकती है। इधर, बताया जा रहा है कि जरूरी योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार जल्द ही अनुपूरक बजट भी ला सकती है। वित्तीय संकट से उबरने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सभी विभागों को खर्च पर कटौती करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही विभागों राजस्व संग्रहण बढ़ाने के लिए भी कहा गया है। सरकार के निर्देश के अनुसार विभागों को हर हाल में राजस्व संग्रहण का निर्धारित लक्ष्य समय से पूरा करना है। इसके साथ ही विभागों को राजस्व एकत्रित करने के लिए अन्य नए सोर्स भी विकसित करने के लिए कहा गया है।
सरकार ने जिन कामों पर बिना अनुमति खर्च किए जाने पर रोक लगाई है। इनमें गृह विभाग के अंतर्गत थानों के डेवलपमेंट, परिवहन विभाग की ग्रामीण परिवहन नीति के क्रियान्वयन, खेल विभाग के खेलो इंडिया एमपी, सहकारिता विभाग की मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना, लोक निर्माण विभाग की विभाग विभागीय संपत्तियों के संधारण, स्कूल शिक्षा विभाग की निशुल्क पाठ्य सामग्री के प्रदाय, प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को लैपटॉप प्रदाय, एनसीसी के विकास एवं डेवलपमेंट, जनजातीय कार्य विभाग टंट्या भील मंदिर के रिनोवेशन, उच्च शिक्षा विभाग की योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के नए आईटी पार्क की स्थापना, विमानन विभाग की भू अर्जन के लिए मुआवजा, ग्रामीण विकास विभाग की पीएम सड़क योजना में निर्मित सड़कों का नवीनीकरण और महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए भवन निर्माण सहित अन्य योजनाओं में बिना वित्त विभाग की अनुमति के खर्च नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा अपंजीकृत निर्माण मजदूरों को अंत्येष्टि एवं अनुग्रह राशि देने की योजना भी समाप्त कर दी गई है।