भोपाल: मध्य प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनके दो उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा ने आज बुधवार (13 दिसंबर) को राजधानी भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में पद और गोपनीयता की शपथ ली. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे.

फिलहाल किसी भी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई है, लेकिन माना जा रहा है कि दिल्ली दरबार से हरी झंडी मिलने के बाद 16 दिसंबर से पहले नई कैबिनेट का गठन किया जाएगा. कहा जा रहा है कि मोहन यादव की कैबिनेट में आसन्न लोकसभा चुनाव को देखते हुए जाति और क्षेत्रीय संतुलन के साथ युवा चेहरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. यहां बताते चलें कि मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल के चेहरे तलाशने की तैयारी भी शुरू कर दी है. राज्य के बड़े नेताओं से प्रारंभिक चर्चा करने के बाद मोहन यादव, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद आज-कल में दिल्ली जाएंगे.

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी अपने नए फार्मूले के तहत कैबिनेट में नए चेहरों को तरजीह देगी. लंबे समय से मंत्री रहे कई बड़े नाम डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट से बाहर होंगे. उन्हें सिर्फ जातिगत गणित या सोशल इंजीनियरिंग ही बचा पाएगा. अनुमान है कि सीएम चेहरे की तरह अब मध्य प्रदेश का मंत्रिमंडल भी चौंकाएगा. लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रत्येक संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री अनिवार्य रूप से रखने की बात कही जा रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि डिप्टी सीएम और स्पीकर की नियुक्ति के बाद हाईकमान बचे हुए दिग्गज नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, गोपाल भार्गव, जयंत मलैया, राकेश सिंह, विजय शाह, भूपेंद्र सिंह, बिसाहूलाल सिंह आदि की भूमिका जल्द स्पष्ट करेगा. इसके बाद ही मंत्रिमंडल के नाम फाइनल होंगे.

नई कैबिनेट में सिंधिया खेमे के विधायकों को भी एडजेस्ट किया जाएगा. कहा जा रहा है कि संघ की तरफ से आने वाले नामों को प्राथमिकता में रखा जाएगा. इसके अलावा जातिगत समीकरण और महिलाओं को भी प्राथमिकता दी जा सकती है. बताया गया है कि लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के साथ रीजन और संभागों में भी संतुलन बैठाया जाएगा. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार कैबिनेट में पुराने मंत्रिमंडल के चेहरों को जगह मिलना मुश्किल है। यानी जो उमाभारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री रहे, उन्हें ड्रॉप किया जा सकता है.प्रदेश स्तर से हालांकि ये नाम दिल्ली जाएंगे, जिस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा.