देवों के देव महादेव शिव की आराधना से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति शिवलिंग से ही हुई है। कहा जाता है कि जब इस संसार में कुछ भी नहीं था, तब एक विशालकाय शिवलिंग प्रकट हुआ, जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड प्रकाश और ऊर्जा से भर गया। उसके पश्चात ही समस्त आकाश, तारों और ग्रहों का निर्माण हुआ।
धार्मिक शास्त्रों द्वारा, सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा ब्रह्मा देव और विष्णु जी ने की थी और सबसे पहला व्रत मां आदिशक्ति दु्र्गा लक्ष्मी और सरस्वती ने रखा था। वैसे तो शिव जी पूजा इस संसार का हर प्राणी करता है, क्योंकि शिव जी हर प्राणी के पालनहार हैं। इसी कारण उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग की पूजा अविवाहित महिलाएं नहीं कर सकती हैं। शिवलिंग की पूजा से जुड़े शास्त्रों और पुराणों में कई सारे नियम बताए गए हैं।
हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनोकूल फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि अविवाहित महिलाओं के अलावा विवाहित महिलाओं का शिवलिंग को छूना माता पार्वती को नाराज कर सकता है, जिससे पूजा का विपरित फल मिल सकता है। इसलिए कहा गया है कि महिलाओं को शिव की मूर्ति के रूप में ही पूजा करनी चाहिए।
शिवलिंग की पूजा करते समय महिलाओं को कुछ गलतियां नहीं करनी चाहिए वरना पूजा सफल नहीं मानी जाती और इसके विपरित परिणाम भी मनुष्य को भुगतने पड़ सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग शक्ति का प्रतीक है और केवल विवाहित पति पत्नी या कोई पुरुष ही शिवलिंग छू सकता है। इसलिए अगर आप शिवलिंग की पूजा करने जा रहा हैं तो ध्यान रहे कि केवल पुरुष को ही शिवलिंग को स्पर्ष करना है।
ज्योतिषाचार्य पंडित कुमार से इस मान्यता को लेकर बात कि तो उन्होंने बताया है कि शास्त्रों के अनुसार, शविलिंग को छूने का तरीका होता है। पवित्र शिवलिंग को सीधे ही छूना मना किया जाता है। यदि कोई महिला शिवलिंग को तिलक करने के लिए छूना चाहती है तो इसके लिए पहले शविलिंग की जलाधि को छूकर प्रणाम किया जाता है। फिर उसके बाद शिवलिंग को छुआ जा सकता है।
अविवाहित महिलाओं को छूने की मनाही होती है। कहा जाता है कि भगवान शिव सबसे पवित्र और हर समय तपस्या में लीन रहने वाले हैं। भगवान शंकर के ध्यान के समय इस बात की सावधानी रखी जाती थी कि कोई भी देवी या अप्सरा भगवान के ध्यान में विघ्न न डालें। इसलिए कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग छूने के लिए मना किया जाता है। यह मान्यता है कि शिवलिंग के साथ अनजाने में की गई गलती आपके लिए शुभ जिस कारण अविवाहित महिलाओं का शिवलिंग को स्पर्श करना मना होता है। शिव जी तपस्या को भंग करना अनुचित माना गया है इसलिए शास्त्रों में अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग को स्पर्श करना वर्जित है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा गया है कि कुंवारी लड़कियां शिव जी की पूजा माता पार्वती के साथ कर सकती हैं। वास्तव में कई लड़कियां सोमवार को सोलह सोमवार के व्रत करती हैं और सोमवार को भगवान शिव का दिन माना गया है। ऐसा माना जाता है कि शिव जी से आदर्श पति कोई नहीं था, इसलिए कुंवारी महिलाएं उनके जैसा वर पाने के लिए सोमवार का व्रत रखती हैं।