भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले एक नाटकीय घटनाक्रम सामने आया है। टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भक्ति तिवारी बीजेपी में शामिल हो गए। सोमवार को नामांकन का आखिरी दिन था। ऐसी ही सियासी घटनाक्रम आज से तीन साल पहले मार्च 2020 में हुआ था जबकि कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। इन दोनों ही घटनाओं का केंद्र बिन्दु ग्वालियर रियासत के ‘महाराज’ कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। सिंधिया ने ही सपा उम्मीदवार को बीजेपी की सदस्यता दिलाई और सिंधिया ने ही मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश से गिरा दी थी।
दरअसल, टीकमगढ़ जिले के जिला पंचायत सदस्य भक्ति तिवारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। वे 2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे। खरगापुर विधानसभा सीट से टिकट के लिए जोर लगा रहे थे। टिकट मिलने की उम्मीद कम थी इसलिए कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस ने पार्टी की सदस्यता तो दिलाई लेकिन टिकट नहीं दिया। भक्ति तिवारी ने सपा का हाथ थामा और फिर टिकट भी मिला लेकिन सिंधिया ने खेल कर दिया और अपने समर्थक की घर वापसी करवा दी। सिंधिया के इस कदम के बाद एक बार फिर से 2020 का सियासी घटनाक्रम याद दिला दिया।
कमलनाथ की गिरा दी थी सरकार
दरअसल, 2018 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनावों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस के खाते में 114 और बीजेपी के खाते में 109 सीटें आई थीं। कांग्रेस को निर्दलीय और सपा-बसपा का साथ मिला था जिसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे। करीब 14 महीने तक सरकार अपना काम करती रही लेकिन मार्च 2020 में सिंधिया ने खेल कर दिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना लोकसभा का चुनाव हार चुके थे। सिंधिया के पास कोई पद नहीं था ऐसे में अटकलें लगाई जा रही थीं कि कांग्रेस उन्हें प्रदेश अध्यक्ष या फिर राज्यसभा सांसद बना सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसके बाद सिंधिया ने मार्च 2020 में कांग्रेस से इस्तीफे का लेटर सोशल मीडिया में शेयर कर दिया। सिंधिया के इस्तीफे के बाद उनके 18 खास विधायक भी कांग्रेस के खिलाफ हो गए
सभी विधायकों ने सिंधिया के समर्थन में अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस भी छोड़ दी। जिस कारण से मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार गिर गई। इसी दौरान सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके बाद राज्य में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी थी।