भोपाल । भाजपा और कांग्रेस में उम्मीदवार घोषित होने के बाद उठ रहे बगावत के सुर और पार्टी बदलने की मची होड़ ने दोनों ही दलों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। अब दोनों ही दल अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटने के परहेज कर रहे हैं। भाजपा की अभी 94 सीटें बची हैं, जिसमें करीब 67 मौजूदा विधायक टिकट के इंतजार में हैं, इनमें से 8 मंत्री भी हैं। जबकि कांग्रेस के 22 विधायक टिकट की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं। दोनों ही दल अब विधायकों के टिकट कम से कम काटेंगे। दोनों ही दल अभी तक अपने 126 विधायकों को फिर से टिकट दे चुके हैं। भाजपा ने 57 और कांग्रेस ने 69 विधायकों को टिकट दिया है।

जैसा की कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा अपने विधायकों के बड़ी संख्या में टिकट काटने जा रही है, लेकिन अब स्थिति को देखते हुए भाजपा ने तय किया है कि वे इस बार अपने अधिकांश विधायकों पर फिर से दांव लगाएगी। इनमें सिर्फ 16 विधायकों के टिकट कटेंगे। दरअसल सीधी से  केदार नाथ शुक्ला और मैहर से नारायण त्रिपाठी के टिकट काटने के बाद इन दोनों के निर्दलीय या दूसरे दल से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में परिवर्तन किया है।
भाजपा ने अब तक 136 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है। अब उसकी बची हुई 94 सीटों पर तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। अब केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शुक्रवार को होना है। इसके बाद ही भाजपा की अगली सूची जाएगी। भाजपा ने अपनी चौथी सूची में 57 विधायकों को टिकट दिया था। इसके बाद बचे हुए विधायकों पर टिकट कटने का संशय था। ऐसा माना भी जा रहा था कि भाजपा लगभग 40 विधायकों के टिकट काट सकती है। इसके साथ यह भी माना जा रहा था कि उम्मीदवारों की पांचवी सूची में विधायकों के टिकट कटते ही हंगामे के आसार बनेंगे।  
शनिवार को आएगी लिस्ट
इन परिस्थितियों को भाजपा ने भांप लिया है और अब यह तय किया गया कि 40-45 विधायकों के टिकट काटने की जगह पर 16 विधायकों के ही टिकट काटे जाएंगे। जिसमें से एक विधायक की बेटी को टिकट दिया जाएगा, वे अपनी बेटी को उम्मीदवार बनाए जाने का लंबे अरसे से प्रयास भी कर रहे हैं। इसलिए 14 विधायकों की नाराजगी को नियंत्रित रखने के लिए पार्टी के बड़े नेता उनसे बात कर स्थिति को संभाल लेंगे।  अपनी रणनीति बदलने के बाद अब यह माना जा रहा है कि शनिवार को भाजपा की जो सूची आएगी, वह अंतिम हो सकती है।