मुरैना। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के मुरैना जिले के रिठौरा की अवैध पत्थर खदानों पर कार्यवाही करने का प्लान मुरैना के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और डीएफओ ने पहले ही तैयार कर लिया था। खदान पर छापामार कार्यवाही करने से पहले तीनों ही अधिकारियों की बेहद खुफिया बैठक कलेक्टर के केबिन में हुई। इसके बाद राजस्व, पुलिस, एसएएफ और वन अमले को रात दो बजे लाइन में एकत्रित होने के निर्देश दिए गए। तीनों विभागों के इन तीन आला अधिकारियों के अलावा किसी को पता नहीं था कि आखिर रात को क्या होने वाला है। सभी को अंदाजा था कि टास्क फोर्स चंबल की ओर रेत पर कार्यवाही करने जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं था। टास्क फोर्स को लेकर अधिकारी सीधे रिठौरा की पत्थर खदानों पर पहुंचे और यहां दिनभर अवैध खनन करने के बाद थककर कर सो रहे माफिया की खटिया सुबह होने से पहले ही खड़ी कर दी गई।
अधिकारियों ने रात ढाई बजे रिठौरा के लिए कूच किया। फोर्स को लगा हाइवे पर रेत माफिया को पकड़ने के लिए पेट्रोलिंग हो रही है, लेकिन अचानक गाडि़यां रिठौरा रोड पर मुड़ गईं। तय योजना के तहत कुछ पुलिस पार्टियां गांवों से खदानों तक आने जाने वाले रास्ते पर मय हथियार तैनात की गईं। पुलिस अधीक्षक आदित्य सिंह के निर्देश पर अलग-अलग पुलिस व एसएएफ पार्टियों को कमांड कर रहे ऑफीसर्स ने खदानों के टॉप प्वाइंट्स पर पोजीशन ले ली। ताकि अगर माफिया किसी तरह इन रास्तों से गुजरने वाले वाहनों को छीनने के लिए हमला करे तो उसका महुंतोड़ जवाब दिया जा सके। करीब 5 किमी की लंबाई में रंचौली, कोटे का पुरा, पढ़ावली आदि गांवों के रास्तों के पास अनंत गहराइयों तक फैली इन खदानों में सशस्त्र जवान धंसते चले गए। जहां जो मशीन मिली उसे तत्काल अभिरक्षा में लिया गया। पुलिस की गतिविधि की आहट सुनकर माफिया के लोग और लेबर खदानें छोड़कर भाग गईं। किसी को इस बात का मौका नहीं मिला कि वह संगठित होकर प्रतिरोध कर सके।
अधिकारियों की मानें तो कुछ विश्वसनीय पुलिस अधिकारियों के जरिए इस बात की रैकी कराई गई। अधिकारियों को पता चला कि रात भर खनन करने के बाद सुबह 4 बजे के आसपास माफिया और उसकी लेबर गहरी नींद में सो जाती है। आज तक माफिया पर रात के अंधेरे में कभी भी कार्यवाही नहीं हुई। इसलिए माफिया हमेशा की तरह अपनी महंगी मशीनरी खदानों पर रखकर आराम से सो रहा था। इसी दौरान यह कार्यवाही हो गई।
थाना प्रभारी रिठौरा दीपेंद्र यादव ने बताया कि टास्क फोर्स की कार्यवाही में रंचौली के आसपास की खदानों से आरोपी भानचंद निवासी कोटरा जिला ललितपुर (उत्तरप्रदेश) और अशोक यादव को पकड़ा गया है। यह दोनों ही मशीन चलाते थे। इसके अलावा पूरी कार्यवाही के दौरान टास्क फोर्स ने 3 महंगी पोकलेन मशीनें, एक हाईड्रा, 6 कंप्रेसर लगे ट्रैक्टर और एक ट्रैक्टर-ट्रॉली बरामद की। बताया जा रहा है कि कार्यवाही में खदानों से जनरेटर्स, जिलेटिन की छड़ें, जिन्हें विस्फोट के काम में लाया जाता है, यह भी बरामद हुई हैं। जिनकी कीमत करीब 2 करोड़ बताई जा रही है।
खदानों पर चलने वाली मशीनों में डीजल की भारी मात्रा में खपत होती थी। इसलिए माफिया खदानों के पास ही बड़ी मात्रा में डीजल भी स्टोर करके रखा करते थे। एक खदान पर टास्क फोर्स को तीन ड्रम यानी करीब 12 सौ लीटर डीजल का स्टॉक मिला। इस डीजल को टास्क फोर्स ने मौके पर ही नष्ट करवा दिया।
हर बार कार्यवाही के दौरान माफिया वाहनों को बचाने के लिए उनकी बैटरी निकाल कर या कोई खराबी पैदा करके भाग जाते थे। इसके बाद पुलिस फोर्स को वाहन थाने तक ले जाने में परेशानी होती थी। ऐसे में फोर्स को पूरी तैयारी से कार्यवाही के लिए कहा गया। फोर्स अपने साथ 8 एक्सट्रा बैटरी, वाहन और मशीनों के दो से तीन अच्छे मिस्त्री, करीब आधा दर्जन ड्राइवर और मशीन ऑपरेटर व इतनी ही संख्या में अधिक वजन उठाने की क्षमता वाले ट्रॉले और क्रेन लेकर गया था। ताकि माफिया की कोई जुगाड़ काम न आ सके।
पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि इस कार्यवाही में करीब 175 जवान और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। करीब 30 से 40 वाहनों की व्यवस्था फोर्स को लाने ले जाने के लिए की गई थी। रणनीति के तहत मौके से वाहनों को फोर्स की पहरेदारी में थानों तक लाया गया। सुबह सूरज उगने के साथ ही टास्क फोर्स ने अपनी कार्यवाही खत्म कर दी और अधिकारी वापस शहर में इस तरह से लौट आए मानो कुछ हुआ ही न हो।
वर्ष 2006 में कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक हरी सिंह यादव और डीएफओ केएस भदौरिया ने इन खदानों पर कार्रवाई की थी। इस दौरान माफिया ने जमकर गोलियां बरसाईं थी। वर्ष 2011 में कलेक्टर एमके अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह व डीएफओ आरएस सिकरवार ने इस इलाके से बड़ी मशीनरी जब्त की थी। उन्हीं के समय खदानों के आसपास खंती खोदी गईं और पत्थर के पहाड़ चूरा बना दिए गए।
मुरैना पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि इस बार हमारे पास बहुत बल था। माफिया को प्रतिरोध का कोई मौका नहीं दिया गया। अगर प्रतिरोध होता तो उन्हें जवाब देने की पूरी तैयारी थी। दो ऑपरेटर और एक दर्जन की संख्या में मशीनें पकड़ी हैं।

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