भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव अब रोचक होता जा रहा है. बीजेपी ने 136 और कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की टिकट घोषित करके कुल 230 विधानसभा में से आधे से ज्यादा सीटों के मुकाबले की तस्वीर साफ कर दी है. इसी बीच दोनों ही दलों में नाराज नेताओं के बगावत का दौर शुरू हो चुका है. बीजेपी के कई बागी कांग्रेस से टिकट हासिल करने में कामयाब हो गए है तो कुछ इंतजार कर रहे है. वहीं, इन दोनों ही दलों से मायूस बागी बीएसपी और आम आदमी पार्टी का दामन थाम रहे हैं।

कांग्रेस ने दिए बागी नेताओं को टिकट
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस यानी दोनों पार्टियों से 21 बागी बड़े नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं. बागियों को पुचकारने के मामले में कांग्रेस ने बाजी मार ली है. बीजेपी के 15 बागियों में से 5 को कांग्रेस ने टिकट दे दिया है. वहीं, कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. शेष की स्थिति भी जल्द सामने आएगी. दतिया से भाजपा के बागी नेता अवधेश नायक को कांग्रेस ने टिकट दिया है. अवधेश को उमा भारती का करीबी माना जाता है. भाजपा के एक और बागी राव यादवेंद्र सिंह को कांग्रेस ने मुंगावली से टिकट दिया है।

टिकट के इंतजार में बैजनाथ यादव
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में गए बैजनाथ यादव कांग्रेस में लौट आये है. उन्हें कांग्रेस ने कोलारस से उम्मीदवार हैं. सुरखी से नीरज शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दिया है. सुरखी से कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा के नेतृत्व में राहतगढ़ (सुरखी) की नगर परिषद का विलय कांग्रेस में हो गया है.बालाघाट के पूर्व सांसद बोध सिंह भगत को भी कांग्रेस ने कटंगी टिकट दे दिया है. सोमवार को पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध कांग्रेस में लौट आए.पिछला चुनाव उन्होंने भांडेर से बसपा से लड़ा था।

मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी पार्टी छोड़ दी है. उनका दलबदल हमेशा चर्चा में रहता है. त्रिपाठी पहले भी कांग्रेस में रह चुके हैं. पिछले दिनों उन्होंने अलग पार्टी बनाई थी और अब उनका कांग्रेस में विलय करने जा रहे हैं. उन्हें कांग्रेस पार्टी मैहर से चुनाव लड़ने का आश्वासन दे चुकी है. बीजेपी के पूर्व मंत्री दीपक जोशी कांग्रेस से खातेगांव से टिकट मिलने का इंतजार कर रहे है. पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत कांग्रेस से बदनावर से टिकट के इंतजार में हैं. इसी तरह पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा नर्मदापुरम से टिकट के इंतजार में हैं. कोलारस से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भी शिवपुरी से टिकट की चाह में कांग्रेस ज्वाइन की थी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है।

कई नेता हैं टिकट के इंतजार में
बीजेपी नेताओं में सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ला और संतोष जोशी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. इधर, रसाल सिंह ने रविवार को बसपा ज्वाइन की और सोमवार को उन्हें लहार से टिकट मिल गया. पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह भी विजयराघवगढ़ से कांग्रेस से टिकट के इंतजार में हैं।

दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के 6 बागी सामने आ चुके हैं. इन्होंने बीजेपी की राह पकड़ने की बजाय या तो निर्दलीय या फिर बसपा और आप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया हैं. कांग्रेस से धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने इस्तीफा दे दिया है. वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. नागौद से कांग्रेस के पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह भी बसपा से चुनाव लड़ सकते हैं. उज्जैन से कांग्रेस सांसद रहे प्रेमचंद गुड्ड आलोट से निर्दलीय लड़ने की तैयारी में है. इसी तरह उज्जैन उत्तर के दावेदार विवेक यादव ने आप की सदस्यता ले ली है. ग्वालियर ग्रामीण से दावेदार केदार कंसाना बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।

यहां बताते चले कि साल 2018 के चुनाव में दोनों पार्टियों के 30 बागी मैदान में थे. उनमें से सिर्फ 4 चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. लेकिन बाकियों ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर अपनी कई सीटों पर अपनी मूल पार्टी को नुकसान किया था।