भोपाल। मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र सिंह तोमर अभी तक अपने चुनाव क्षेत्र में नहीं पहुंचे हैं। वे अपना ज्यादा से ज्यादा समय ग्वालियर में दे रहे हैं। यहां तक कि मुरैना एवं आसपास की विधानसभा सीटों पर भी घूम आए हैं। दिमनी नहीं पहुंचने को लेकर क्षेत्र में तमाम तरह की अटकलों का दौर शुरू हो गया है। हालांकि इसको लेकर तोमर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भाजपा हाईकमान ने 25 सितंबर को प्रत्याशियों की दूसरी सूची घोषित की थी, जिसमें 3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसदों को भी विधानसभा का प्रत्याशी बनाया था। साथ ही कैलाश विजयवर्गीय को भी प्रत्याशी घोषित किया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद कैलाश विजयवर्गीय सबसे पहले क्षेत्र में पहुंचे। वे ज्यादातर समय क्षेत्र में बिता रहे हैं, लेकिन नरेन्द्र सिंह तोमर अभी तक चुनाव क्षेत्र में नहीं पहुंचे हैं। तोमर मप्र चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी हैं। वे संगठन की राजधानी में होने वाली बैठकों में भी शामिल हो रहे हैं। अभी तक उनके दिमनी क्षेत्र में नहीं पहुंचने को लेकर राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि पार्टी कुछ सीटों पर टिकट बदल सकती है, जिसमें तोमर का टिकट भी बदला जा सकता है। हालांकि पार्टी की ओर से कोई अधिकृत प्रतिक्रिया नहीं आई है।
चंबल में बगावत… रुस्तम सिंह का बेटा लड़ सकता है मुरैना से चुनाव
भोपाल। चंबल से भारतीय जनता पार्टी में बड़ी बगावत के सुर उठना शुरू हो गए हैं। पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेशसिंह मुरैना से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि रुस्तम सिंह ने इससे साफ इनकार किया है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बेटा अपना फैसला लेने के लिए खुद स्वतंत्र है। मेरा कोई दखल नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पांच साल से मुरैना में एक ईंट का विकास नहीं हुआ है। हमें सिर्फ मुरैना के विकास की चिंता है।
रुस्तम सिंह ने कहा कि पार्टी के सर्वे में वे टॉप पर थे, फिर भी दूसरे को टिकट दिया है। पार्टी बड़ी हो गई है। पार्टी नरेंद्रसिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नेताओं को 20 साल बाद विधायकी लड़वा सकती है तो कुछ भी कर सकती है। मुरैना में पार्टी ने जो प्रत्याशी तय किया है, उससे पार्टी के कार्यकर्ता सहमत नहीं हैं। उपचुनाव में उन्होंने पार्टी के कहने पर पूरी ताकत लगाई थी। बेटे के सवाल पर कहा कि बेटा छत्तीसगढ़ में व्यापार करता था। पार्टी के कहने पर ही बुलवाकर जिला पंचायत का चुनाव लड़वाया, लेकिन अध्यक्ष किसी और को बनवा दिया।