नई दिल्ली। गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने के फैसले को सरकार 1 अक्टूबर से लागू करने जा रही है। CBIC के प्रमुख संजय कुमार की ओर से ये जानकारी दी गई है कि 1 अक्टूबर से 28% जीएसटी लागू हो जाएगा। उन्होंने हाल ही में जीएसटी विभाग की ओर से कई गेमिंग कंपनियों को भेजे गए नोटिस को लेकर भी अपनी बात कही और कहा कि उन्हें नोटिस सोच समझकर भेजा गया था। दिलचस्प बात ये है कि इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने इन नोटिस को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी।

क्या बोले सीबीआईसी चीफ?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआईसी चीफ संजय कुमार ने कहा है कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक गेमिंग, कैसिनो और हॉर्स रेसिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने जा रही है। इससे पहले पिछले साल कई राज्यों के विरोध के बाद सरकार ने इसे जीएसटी काउंसिल से पास करा लिया था। 28 प्रतिशत जीएसटी का विरोध करने वालों में दिल्ली, सिक्किम और गोवा जैसे राज्य थे। बावजूद उसके इसे 1 अक्टूबर से लागू करने की तैयारी की जा चुकी है।

कब की जाएगी फैसले की समीक्षा?

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी के फैसले को लागू करने के लिए सभी राज्यों को अपनी-अपनी विधानसभाओं में इसे पारित करने की जरूरत थी। उन्होंने कहा, “इस संबंध में लिए गए फैसले के अनुसार राज्यों को एक अक्टूबर से ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने के लिए 30 सितंबर तक अपनी विधानसभाओं में इसे पारित करना या अध्यादेश जारी करना था। अग्रवाल ने आगे कहा कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत कर लागू होने के छह महीने बाद इसकी समीक्षा की जाएगी।”

इस फैसले से सरकार कितना कमाएगी?

इस मामले में रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से फिलहाल काफी कम टैक्स लिया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने बताया कि बीते फाइनेंशियल ईयर में सरकार को ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की तरफ से 1700 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिले थे।पर इस इंडस्ट्री का साइज 50 से 85 हजार करोड़ के बीच का है। ऐसे में 18 फीसदी जीएसटी इस इंडस्ट्री से काफी कम है। ऑनलाइन गेमिंग को 28 फीसदी के दायरे में लाने पर सरकार बीते साल की तुलना में 10 गुना ज्यादा यानी 17 हजार करोड़ रुपये टैक्स के रूप में कमा सकती है।

28 फीसदी जीएसटी से गेमिंग इंडस्ट्री पर क्या असर आएगा?

अभी गेमिंग प्लैटफॉर्म्स पर फुल फेस वैल्यू पर टैक्स नहीं लगता है। ग्राहकों से जो फीस ली जाती है, उस पर ये प्लैटफॉर्म जो कमीशन लेते हैं उस पर 18% जीएसी लगती है। यानी अगर ये प्लेटफॉर्म 10% कमीशन लेते हैं तो 1000 रुपये की फीस पर 100 रुपये कमीशन एक प्लैटफॉर्म को मिलता है। इस पर 18% जीएसटी के तौर पर ये प्लेटफॉर्म चुकाते हैं।

GST काउंसिल के फैसले के मुताबिक, अब फुल फेस वैल्यू पर जीएसटी देना होगा। वो भी 28 फीसदी। मतलब ये प्लेटफॉर्म अगर ग्राहकों से 1000 रुपये लेते हैं, तो उसमें से 28% यानी 280 रुपये जीएसटी के तौर पर सरकार को देने होंगे, जो कि पहले की तुलना में 15 गुना ज्यादा है।

क्यों लिया गया ये फैसला?

ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और हॉर्स रेसिंग से जुड़े टैक्सेशन के लिए बनाए गए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने जून, 2022 की अपनी पहली रिपोर्ट में कहा था कि किन्हीं एक्टिविटीज़ के बीच इस आधार पर अंतर नहीं होना चाहिए कि वो गेम ऑफ स्किल हैं या गेम ऑफ चांस हैं या उससें स्किल और चांस दोनों इनवॉल्व हैं। GoM ने यूनिफॉर्म 28% जीएसटी लगाने का सुझाव दिया था। हालांकि, गोवा ने इस पर विरोध जताया था, इसके बाद इसे रिव्यू पर रखा गया था।

जीएसटी विभाग ने कई कंपनियों को भेजा था नोटिस

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआईसी प्रमुख ने कई कंपनियों को भेजे गए लीगल नोटिस को लेकर भी अपनी बात कही है। उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों को भी नोटिस भेजा गया है उन्हें प्रोसेस के अनुरूप ये दिया गया है। सीबीआईसी की ओर से अब तक जिन कंपनियों को नोटिस भेजा गया है उनमें गेमिंग कंपनी ड्रीम 11 की मूल कंपनी ड्रीम स्पोर्टस शामिल है। इसमें लगाए गए दांव के अंकित मूल्य पर 28% जीएसटी का भुगतान को लेकर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का हवाला दिया गया है। इससे पहले इसी तरह का नोटिस गेम्सक्राफ्ट को भी मिल चुका है। गेम्स क्राफ्ट को कर चोरी के लिए कथित तौर पर 21,600 करोड़ रुपये का जीएसटी टैक्स डिमांड नोटिस मिल चुका है।