भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने करीबी नेताओं को कोई खास जगह पहली लिस्ट में नहीं दिला सका थे, लेकिन दूसरी लिस्ट में उनके खेमे के नेताओं को खास तवज्जो मिली है. पूर्व मंत्री इमरती देवी और रघुराज कंसाना सहित करीब आधा दर्जन सिंधिया के करीबी नेताओं को बीजेपी ने टिकट देकर कैंडिडेट बनाया है. ऐसे में सिंधिया को सियासी अहमियत दिए जाने के राजनीतिक मायने तलाशे जाने लगे हैं?
बता दें कि साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने करीबी दो दर्जन विधायकों के साथ कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसके चलते ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को सत्ता से दखल होना पड़ा था और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की वापसी हुई थी. सिंधिया के साथ आए विधायकी से इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़े थे, जिनमें सिंधिया के सात समर्थक चुनाव हार गए थे. बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव में काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और उन्हीं नेताओं को टिकट दे रही है, जिसकी जीतने की उम्मीद दिख रही है.
दूसरी लिस्ट में सिंधिया 5 करीबियों को टिकट
बीजेपी ने 2023 विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान शुरू कर दिया है. सिंधिया खेमे को बीजेपी की पहली लिस्ट में भले ही निराशा हाथ लगी हो, लेकिन दूसरे में उन्हें खास तवज्जो मिली है. बीजेपी ने सोमवार को 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी है, जिसमें सिंधिया के पांच समर्थकों को टिकट दिया गया है. इसमें श्रीकांत चतुर्वेदी, इमरती देवी, मोहन सिंह राठौड़, रघुराज कंसाना, हिरेंद्र सिंह बंटी को प्रत्याशी बनाया गया है.
इमरती देवी सुमन को डबरा, मोहन सिंह राठौड़ को भितरवार, रघुराज कंसाना को मुरैना, हिरेंद्र सिंह बंटी को राघौगढ़ और श्रीकांत चतुर्वेदी को मैहर से बीजेपी ने टिकट दिया है. 2020 में उपचुनाव हारने वाली इमरती देवी और रघुराज कंसाना को सिंधिया उन्हें टिकट दिलाने में कामयाब रहे. बीजेपी की दूसरी लिस्ट में सिंधिया के पांच समर्थकों को टिकट दिया गया है. वहीं, सिंधिया खेमे के गिरिराज सिंह दंतोडिया का डीमनी उपचुनाव हार चुके एक प्रमुख नेता का टिकट कटा है, लेकिन वहां से केंद्रीय मंत्री तोमर चुनाव मैदान में हैं.
सिंधिया के साथ पहली लिस्ट में खेला हो गया था
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पार्टी ने पहली लिस्ट में खेला कर दिया था. सुमावली से सिंधिया समर्थक एंदल सिंह कंसाना पर एक बार फिर से भरोसा जताया है, लेकिन गोहदा सीट से विधायक रहे रणवीर जाटव को प्रत्याशी नहीं बनाया गया है. रणवीर जाटव भी सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थामे थे. बीजेपी ने जाटव की जगह लाल सिंह आर्य को टिकट दिया है. सिंधिया के करीबी जाटव की तरह कंसाना भी 2020 के उपचुनाव में करारी मात खानी पड़ी थी. सिंधिया के साथ बीजेपी में आए तमाम नेता घर वापसी कर रहे हैं. ऐसे में जाटव का टिकट कटने से सिंधिया खेमे को तगड़ा झटका लगा था.
ग्वालियर-चंबल में बीजेपी की टेंशन
बीजेपी को सबसे ज्यादा चिंता ग्वालियर-चंबल इलाके में ही सता रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस इलाके में करारी मात खानी पड़ी थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आने के बाद पार्टी को बड़ी उम्मीद थी. सिंधिया के बीजेपी में एंट्री के बाद भी ग्वालियर-चंबल इलाके में पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं हो सकी. 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी को सात सीटों पर हार का सामना करना पड़ा तो हाल ही में ग्वालियर और मुरैना नगर सीट भी बीजेपी के हाथों से निकल गई है. कांग्रेस इस बेल्ट में पहले से ज्यादा मजबूत दिख रही है, जिसके चलते बीजेपी की चुनौती बढ़ी हुई है. बीजेपी के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता है, लेकिन दलबदलू नेताओं के चलते बीजेपी के पुराने नेता नाराज दिख रहे हैं. ऐसे में बीजेपी बहुत ही सावधानी के साथ कदम बढ़ा रही है?