भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों की आय को दोगुना करने की सुविचारित व्यवहारिक कार्ययोजना बने। अल्प वर्षा और अवर्षा से प्रभावित होने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए शार्ट-टर्म आपात योजना भी बनाएं। सिंचाई और पेयजल की आवश्यकताओं का आकलन करते हुए, जल भंडारण की समुचित तैयारी करें। प्रवाहमान जल को रोकने के सभी समुचित उपाय युद्ध स्तर पर किये जाएं। इसी परिप्रेक्ष्य में कृषि से जुड़े अन्य विभाग ऊर्जा, उद्यानिकी, सिंचाई, पी.एच.ई. आदि भी समय रहते आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें। चौहान ने आज मंत्रालय में कृषि कैबिनेट की बैठक में यह निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान सम्मेलनों के प्रति किसानों में जिज्ञासा उत्पन्न की जाए। आय दोगुना करने की तैयारियों का समस्त विवरण दिया जाए। अंतर्वर्ती फसल लेने वाले किसानों के ब्यौरे सहित सफलता की कहानी प्रभावशाली तरीके से दी जाए। मृदा कार्ड उपयोग का तरीका बताया जाए। जैविक उत्पादों की प्रमाणिकता और विक्रय के आउटलेट खुलवाए जाएं। धान खरीदी के साथ ही भावांतर भुगतान योजना के लिए पंजीयन की पुख्ता व्यवस्था हो। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण की छोटी-छोटी इकाईयों से बड़ा काम करने के लिए पंचायत स्तर पर इकाईयों की स्थापना करवाने के निर्देश दिए। संरक्षित खेती में शेडनेट हाऊस को प्रोत्साहित कराने के लिए भी कहा। मुख्यमंत्री ने गेहूँ के प्रति हैक्टर उत्पादन में प्रदेश को अव्वल बनाने का लक्ष्य लेकर प्रयास करने के निर्देश दिये। साथ ही कृषि वानिकी विस्तार कार्यक्रम के तहत नर्मदा तटीय क्षेत्रों पर फोकस की जरूरत बताई।
कृषि कैबिनेट में सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना, किसान संतान उद्यमी योजना के तहत करवायी जाए। किसान सम्मेलन 30 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक आयोजित किये जाएं। सम्मेलन में शामिल होने वाले वैज्ञानिकों और अधिकारियों की राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाए। सम्मेलनों की मंशा और महत्व की जानकारी सभी संबंधितों को दी जाए। नरवाई जलाने वाले क्षेत्रों में किसानों को भूसा विक्रय के लिये प्रोत्साहित किया जाए। कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर प्रत्येक विकासखंड में खुलवायें जाएं। उनका उपयोग विकासखंड के अन्य उद्यमियों को प्रेरित और प्रशिक्षित करने में किया जाए। प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की नवीन योजना को सैद्धांतिक सहमति दी गई।
बैठक में प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने कृषि विभाग का प्रस्तुतिकरण किया। किसान की आय को दोगुना करने के रोडमैप और विगत 18 माह में क्रियान्वयन की स्थिति की जानकारी दी। डॉ. राजौरा ने बताया कि चना, सोयाबीन, कुल दलहनी फसलें, कुल तिलहनी फसलें, अमरूद, टमाटर कुल जैविक क्षेत्र, जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया में देश में प्रदेश प्रथम स्थान पर है। राज्य में जैविक कपास, सोयाबीन और गेहूँ का उत्पादन हो रहा है। खरीफ फसलों की उत्पादकता में वर्ष 2022 के लक्ष्यों की तुलना में बाजरा, अरहर, उड़द और मूंग की उत्पादकता का निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2016-17 में ही प्राप्त कर लिया गया है। इसी तरह, रबी फसलों जौ और मसूर की वर्ष 2016-17 की उत्पादकता 2022 के लक्ष्य से अधिक हो गई है। आठ फसलों सोयाबीन, चना, अरहर, मूंग, उड़द, ज्वार, बाजरा और कपास की उत्पादकता राष्ट्रीय उत्पादकता से अधिक हो गई है। कृषि अनुसंधान में मध्यप्रदेश को उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित हुई हैं। देश में पहली बार येलो मोजेक सुरक्षित सोयाबीन की जैनेटिक वैरायटी और मैकनेकिल हार्वेस्टिंग वाली सोयाबीन के बीज का विकास हुआ है।
प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने उद्यानिकी विभाग का प्रस्तुतिकरण किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाजार के रूप में इंदौर में पीपीपी मोड में फल एवं सब्जियों की अत्याधुनिक ई-मंडी स्थापित होगी। उद्यानिकी फसलों और तकनीक से उत्पादकता वृद्धि परामर्श सेवा के लिये विख्यात 25 विषय विशेषज्ञ सूचीबद्ध किए गए हैं। कलस्टर आधारित विकास के लिए 509 फल और 597 सब्जी कलस्टर चयनित किये गये हैं। कलस्टर अंतर्गत अभी तक कुल 42 हजार 252 हेक्टर में उद्यानिकी फसलों का विकास किया गया है। पाँच वर्ष की अवधि में उद्यानिकी फसलों के लक्ष्य की तुलना में 2 वर्ष की अवधि में एक तिहाई लक्ष्य की प्राप्ति हो गई है। फल, सब्जी, मसाला, पुष्प, औषधि एवं सुगंधित फसल अंतर्गत 2 लाख 23 हजार 57 हेक्टर क्षेत्र का आच्छादन हो गया है।
कृषि कैबिनेट में मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश की कृषि क्षेत्र में हुई प्रगति को अदभुत बताया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्रियों की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश में कृषि में हुई प्रगति की सराहना की है और कहा कि राज्य की प्रगति अदभुत है।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि आय 2 लाख 22 हजार 174 करोड़ रूपये रही है। वर्ष 2015-16 के दौरान यह एक लाख 68 हजार 427 करोड़ रूपये थी, इस प्रकार, गत वर्ष कृषि आय में 53 हजार 744 करोड़ रूपये आय की अतिरिक्त वृद्धि हुई है। योजना एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 के दौरान वर्तमान मूल्यों पर वृद्धि दर्ज की है। प्राथमिक क्षेत्र में भी प्रचलित मूल्यों पर 29.08 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है। बैठक में वित्त मंत्री जयंत मलैया, वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री गौरीशंकर बिसेन, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रूस्तम सिंह, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, ऊर्जा मंत्री पारसचंद्र जैन, नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री लालसिंह आर्य एवं मुख्य सचिव बी.पी. सिंह भी उपस्थित थे।