नीमच। सोनल चौरसिया, विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), जिला-नीमच द्वारा पक्ष में फैसला कराने हेतु 5000रू. रिश्वत लेने वाले एडीएम न्यायालय के रीडर आरोपी कमलेश गुप्ता पिता, उम्र-51 वर्ष, निवासी-एमजीआर 35 न्यू इंद्रानगर, जिला नीमच को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)(बी), 13(2) के अंतर्गत 04-04 वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुल 10000रू जुर्माने से दण्डित किया।

विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियोजक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 29.07.2019 को फरियादी राकेश परमार, निवासी-ग्राम चीताखेड़ा ने पुलिस अधीक्षक विपुस्था, लोकायुक्त कार्यालय, उज्जैन के समक्ष उपस्थित होकर एक शिकायत आवेदन पत्र दिया जिसके अनुसार उसके द्वारा ग्राम पंचायत चीताखेड़ा शनि मंदिर के पास स्थित शासकीय भूमि पर अजय शर्मा द्वारा अतिक्रमण करने की शिकायत की थी जिस पर से तहसीलदार जीरन द्वारा 18.09.2018 को उक्त अतिक्रमण हटाने हेतु ग्राम पंचायत को आदेशित किया था। उक्त आदेश की अपील अजय शर्मा द्वारा एसडीएम के यहा की थी। एसडीएम नीमच द्वारा दिनांक 21.02.2019 को तहसीलदार के आदेश को यथावत रखा गया था। जिसकी पुनः अपील अजय शर्मा द्वारा एडीएम न्यायालय, नीमच के यहा की थी, जिस प्रकरण की जानकारी हेतु वह एडीएम न्यायालय, नीमच में गया तो एडीएम न्यायालय, नीमच के रीडर कमलेश गुप्ता द्वारा उक्त प्रकरण को आवेदक के पक्ष में निर्णय कराने हेतु 5,000रूपये की रिश्वत की मांग की थी।

आवेदक द्वारा प्रस्तुत शिकायत आवेदन पत्र पर कार्यवाही किये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त द्वारा बंसत श्रीवास्तव, निरीक्षक को कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। बंसत श्रीवास्तव द्वारा आवेदन पर से कार्यवाही करते हुए डिजीटल वाईस रिकार्डर के माध्यम से आवेदक व आरोपी के मध्य रिश्वत लेनदेन की बातचीत को रिकार्ड किया गया एवं अपराध को पंजीबद्व किया जाकर विधिवत ट्रेप आयोजित किया गया एवं दिनांक 01.08.2019 को आरोपी कमलेश गुप्ता, रीडर/सहायक ग्रेड-02 एडीएम कार्यालय नीमच को आशर्मा रेस्टोरेंट, जिला पंचायत के सामने, नीमच पर से 5000रू. की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, जिसके पश्चात मौके की समस्त कार्यवाही कर वापस लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन आकर शेष आवश्यक अनुसंधान उपरांत अभियेग पत्र विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988) नीमच में प्रस्तुत किया गया।

विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियेजक द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान फरियादी, ट्रेपदल के सदस्य, पंचसाक्षी व विवेचक सहीत सभी महत्वपूर्ण गवाहों के बयान करवाये गये। प्रकरण में प्रमुख तथ्य यह रहा कि फरियादी द्वारा घटना का समर्थन नहीं करते हुवे पक्षविरोधी साक्ष्य दी गई, इसके उपरांत भी अभियोजन द्वारा घटना को दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर प्रमाणित कराते हुए आरोपी द्वारा 5,000रू. रिश्वत लिये जाने के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराते हुए आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किए जाने का निवेदन किया गया। जिस पर से माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया गया।