भोपाल । मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है, लेकिन उससे पहले सियासी पारा चढ़ने लगा है। इसी बीच चर्चा है कि चुनाव से पहले शिवराज कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट के इस विस्तार में 3-4 नए मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को कहा, ‘विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले यह योजना बनाई गई है। तीन से चार नए सदस्यों के शामिल होने की संभावना है। बीजेपी नेता ने कहा कि मंत्री पद में शामिल होने वालों की सूची में दो नाम लगभग तय हैं। पहला नाम पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला का है, जो एक ब्राह्मण नेता है और विंध्य क्षेत्र के रीवा से विधायक हैं, जबकि दूसरा नाम गौरीशंकर बिसेन का है, महाकोशल क्षेत्र के बालाघाट से विधायक हैं और मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि राहुल सिंह लोधी और एमपी के पूर्व मंत्री जालम सिंह को कैबिनेट में शामिल करने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच विचार-विमर्श चल रहा है। यह दोनों नेता ओबीसी समुदाय से हैं, जो मध्य प्रदेश की आबादी का 45 प्रतिशत है।
बुंदेलखंड क्षेत्र में टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से पहली बार विधायक बने राहुल सिंह लोधी वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे हैं, जबकि महाकौशल क्षेत्र के नरसिंहपुर से विधायक जालम सिंह केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के छोटे भाई हैं।
वर्तमान में राज्य में सीएम सहित 31 सदस्य हैं। संवैधानिक मानदंडों के अनुसार, संख्या 35 तक जा सकती है, जो कि 230 सदस्यों वाली एमपी विधानसभा की ताकत का 15 प्रतिशत है। शिवराज सरकार का आखिरी मंडिमंडल विस्तार जनवरी, 2021 में हुआ था।इसी बीच, पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला और गौरीशंकर बिसेन भोपाल पहुंच गए हैं। वहीं जब शुक्ला से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने संभावित कैबिनेट विस्तार पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
राजभवन के एक अधिकारी ने गुरुवार को पीटीआई को बताया कि राज्य सरकार ने शपथ ग्रहण समारोह के संबंध में अभी तक कोई सूचना नहीं भेजी है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह कैबिनेट विस्तार सत्ता विरोधी लहर को मात देने, जातिगत समीकरणों को संतुलित करने और राज्य में क्षेत्रीय उम्मीदों को पूरा करने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की सिफारिश पर किया जा रहा है, जहां साल के अंत तक चुनाव होने हैं।
एक प्रमुख हिंदी दैनिक के स्थानीय संपादक मनीष गुप्ता के अनुसार, पूर्वी मध्य प्रदेश के महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2018 के चुनावों में विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन महाकौशल में उसका प्रदर्शन औसत से नीचे था।
गुप्ता ने कहा, ‘इन क्षेत्रों के विधायकों का प्रतिनिधित्व कैबिनेट में लगभग शून्य था। लोग महसूस कर रहे हैं कि कैबिनेट प्रतिनिधित्व में उनके क्षेत्रों की उपेक्षा की गई है। महाकौशल और बुंदेलखंड के विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करना विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए उपयोगी साबित होगा।’ बता दें, मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने के बाद शिवराद सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने थे।