भोपाल । एमपी विधानसभा चुनाव को लेकर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में तारीखों की घोषणा हो सकती है। इससे पहले सियासी समीकरणों को साधने में बीजेपी जुट गई है। असंतुष्ट लोगों को मनाने के लिए पार्टी सब कुछ कर रही है। अब क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को साधने के लिए पार्टी ने मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रही है। सत्ता और संगठन में इसे लेकर मंथन जारी है। बुधवार की रात भी सीएम हाउस में इसे लेकर बैठक हुई है। अभी तक कुछ फाइनल नहीं हुआ है। आइए आपको को पांच कारण बताते हैं कि आखिरी समय में शिवराज कैबिनेट का विस्तार क्यों हो रहा है।

चार मंत्रियों के पद हैं खाली
दरअसल, सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर एमपी कैबिनेट में 35 लोग हो सकते हैं। अभी सीएम शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर कैबिनेट में 30 मंत्री हैं। इसमें कुछ राज्य मंत्री भी हैं। ऐसे में चार मंत्रियों के पद खाली हैं। कैबिनेट विस्तार का पहला कारण ये हो सकता है। लेकिन इसे लेकर चर्चा लंबे समय से चल रही है कि शिवराज सिंह चौहान का कूनबा बढ़ेगा।

क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कोशिश
वहीं, एमपी में 2020 में बीजेपी की जो सरकार बनी थी, वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से बनी है। सिंधिया के साथ आए लोगों को साधने के चक्कर में कैबिनेट में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बिगड़ गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि कई क्षेत्रों को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिल गया। वहीं, इसकी वजह से पार्टी में असंतोष बढ़ता जा रहा था। आखिरी विस्तार के जरिए पार्टी असंतोष को साधने में जुटी है।

इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व है कम
वहीं, मध्यप्रदेश में विंध्य और बुंदेलखंड मिलाकर कुल 56 सीटें हैं। इसके बावजूद दोनों इलाकों का प्रतिनिधित्व शिवराज कैबिनेट में कम है। विंध्य से शिवराज कैबिनेट में तीन और बुंदेलखंड से चार मंत्री हैं। बुंदेलखंड में तीन तो एक ही जिले के हैं। वहीं, महाकौशल से सिर्फ एक मंत्री हैं। बीजेपी इसे बैलेंस कर रही है।

इन नामों की है चर्चा
वहीं, विंध्य से पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता राजेंद्र शुक्ला के नाम की चर्चा है। इसके साथ ही महाकौशल से गौरीशंकर बिसेन के नाम की चर्चा है। इसके साथ ही बुंदेलखंड से राहुल लोधी के नाम की चर्चा है। सूत्र बता रहे हैं कि दो नामों पर सहमति बन गई है और दो अन्य पर मंथन जारी है। राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाकर पार्टी ब्राह्मणों को साधने में जुटी है। वहीं, गौरीशंकर बिसेन से ओबीसी वोटरों को साधने की कवायद है।

नाराज लोगों को मना रहे
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में एमपी में छह अक्टूबर को आचार संहिता लग गई थी। अपने लोगों की नाराजगी के कारण ही कुछ सीटों पर बीजेपी की हार हुई थी। ऐसे में पार्टी इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। तारीखों की घोषणा से पहले नाराज लोगों को मनाने की कोशिश में जुटी है। मंत्रिमंडल विस्तार भी इसी कड़ी का हिस्सा है।