जबलपुर. जीएसटी के नोटिस में रिश्वत लेते पकड़े जाने का संभवत: देश का पहला मामला जबलपुर में सामने आया है। जीएसटी नोटिस का निपटारा करने के मामले में सेल्स टैक्स विभाग के एक बड़े बाबू को लोकायुक्त पुलिस ने 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। अपरान्ह करीब साढ़े 4 बजे हुई इस कार्रवाई से सेल्स टैक्स विभाग में हड़कंप मच गया । बड़े बाबू रमाकांत तिवारी के ड्रॉज में से लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत की रकम बरामद कर ली। यह रिश्वत रमाकांत ने शिकायतकर्ता गोपाल कृष्ण तिवारी से ली थी।
इस संबंध में लोकायुक्त पुलिस ने जानकारी दी है कि गढ़ा में शिव शक्ति नाम का बारात घर चलाने वाले गोपाल कृष्ण तिवारी के पास जीएसटी असेसमेंट का नोटिस आया था। उन्होंने इस मामले में जब सेल्सटैक्स के बड़े बाबू रमाकांत से संपर्क किया तो उन्होंने 50 हजार रुपये की मांग की और कहा कि पैसे देने के बाद उनके मामले का निपटारा कर दिया जायेगा।
सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पकड़ा जायेगा
गोपाल कृष्ण ने पहली किश्त के रूप में 20 हजार रुपये देने के बाद रमाकांत ने दूसरी किश्त की मांग की। गोपाल कृष्ण ने दूसरी किश्त में 15 हजार रुपये देने की बात कही तो रमाकांत मान गया। गोपाल कृष्ण ने इस मामले की शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की ।
लोकायुक्त पुलिस के डीएसपी संतोष सिंह भदौरिया, प्रकाश शुक्ला, मनोज गुप्ता, आरक्षक गोविंद सिंह, अमित कुमार, शरद पांडे की टीम ने सेल्स टैक्स के सर्किल क्रमांक एक में पदस्थ बड़े बाबू रमाकांत की घेराबंदी कर ली। लोकायुक्त टीम के सदस्य एक-एक करके ऑफिस में पहुंचे ताकि किसी को शक न हो। जैसे ही गोपाल कृष्ण ने रिश्वत के 15 हजार रुपये रमाकांत को दिये उसके बाद ही लोकायुक्त की टीम पीछे से पहुंच गई । बड़े बाबू ने उतनी देर में रिश्वत की रकम अपने ड्रॉज में रख ली थी।
सदमे जैसी हालत छापा दल ने ड्रॉज से रिश्वत की रकम बरामद करने के बाद रमाकांत के हाथ धुलाए तो पानी लाल हो गया। रमाकांत को पहले तो यह विश्वास नहीं हुआ कि वह पकड़ा गया है। वह कुछ देर तो सदमे जैसी हालत में रहा आैर फिर सामान्य हाे पाया। उसका कहना था कि उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पकड़ा जायेगा।
सेवानिवृत्ति के मात्र 8 महीने बचे
विजय नगर निवासी रमाकांत तिवारी की सेवानिवृत्ति के सिर्फ 8 माह बचे थे । उनके बारे में सेल्स टैक्स विभाग में यह बात भी जग जाहिर थी कि रमाकांत किसी का काम बिना पैसे के नहीं करता है। कुछ कर्मचारियों को इस बात का अफसोस था कि सेवा निवृत्ति की कगार पर रमाकांत रिश्वत लेते पकड़ा गया।