भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने अपनी-अपनी रणनीतियों को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। बीजेपी के बाद अब कांग्रेस ने भी अपनी कमेटियां घोषित कर दी हैं। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने बुधवार देर रात को स्क्रीनिंग कमेटी की घोषणा की। इस कमेटी का नेतृत्व पार्टी महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह करेंगे। जीतेंद्र सिंह को जिम्मेदारी दिए जाने के बाद ये माना जा रहा है कि टिकट वितरण में अब गांधी परिवार का ही फैसला मान्य होगा। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, जीतेन्द्र सिंह को गांधी परिवार का भरोसेमंद माना जाता है।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए ‘डबल इंजन सरकार’ के मोड में आ चुकी है। पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा लड़ने का मन बना चुकी है, अमित शाह बार-बार मध्य प्रदेश आकर रणनीति बना रहे हैं।

भूपेंद्र यादव की तरह राजस्थानी को चुना
बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव का प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को बनाया है। भूपेंद्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। इसी तर्ज पर कांग्रेस ने भी जीतेंद्र सिंह को स्क्रीनिंग कमेटी का प्रमुख बनाया है। जीतेंद्र भी राजस्थान से आते हैं। अलवर के पूर्व शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

गांधी परिवार के खास हैं जीतेंद्र सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह को सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के खास माना जाता है। मई 2022 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रमुख राजनीतिक मुद्दों पर सलाह देने के लिए आठ सदस्यीय राजनीतिक मामलों का समूह बनाया था, जिसमें जीतेंद्र सिंह को भी शामिल किया गया था।

गांधी परिवार ने पहले भी दिया लाभ
2009 के आम चुनाव में पहली अलवर संसदीय क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे जीतेंद्र सिंह को 2011 में यूपीए सरकार में गृह राज्य मंत्री बना दिया गया था। मध्य प्रदेश के टिकट वितरण करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी में जीतेंद्र सिंह का नाम आने का मतलब ही यह है कि वे प्रदेश में टिकट वितरण में गांधी परिवार का पूरा दखल होगा। वहीं, कमलनाथ को भी गांधी परिवार का करीब माना जाता है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का अंतिम फैसला गांधी परिवार ही लेगा।

क्या है स्क्रीनिंग कमेटी का काम
दरअसल, स्क्रीनिंग कमेटी का मुख्य काम होता है उम्मीदवारों के नाम को केन्द्रीय चुनाव समिति के पास भेजना। ये कमेटी सभी विधानसभा सीटों पर संभावित उम्मीदवार और उनकी ग्राउंड में रिपोर्ट कैसी है यह तैयर करके केन्द्रीय चुनाव समिति को भेजती है। जिसके बाद पार्टी किसी एक नाम पर मुहर लगाती है। जिसके नाम पर मुहर लगती है वह पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार होता है।