नई दिल्‍ली । भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर की इछावर विधानसभा के ग्राम सुआखेड़ा का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें गांव में अभी तक सड़कें नहीं बन पाई है.
राजनीति मंचों से जनप्रतिनिधियों द्वारा भले ही डिजिटल इंडिया के नाम पर तमाम दावे किए जाते हो, लेकिन हकीकत इनसे कोसो दूर है. एक ऐसा ही मामला सामने आ रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले व पूर्व राजस्व मंत्री, 7 बार के बीजेपी विधायक करण सिंह वर्मा की इछावर विधानसभा क्षेत्र से. गांव में सड़क नहीं होने से प्रसूता को लेने एंबुलेंस घर तक नहीं आ सकी. नतीजतन परिजन दो किलोमीटर दूर खटिया पर लादकर प्रसूता को सड़क तक लेकर पहुंचे, तब एंबुलेंस नसीब हो सकी.

जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर की इछावर विधानसभा के ग्राम सुआखेड़ा का एक वीडियो वायरल हो रहा है. बता दें इछावर विधानसभा से भाजपा के वरिष्ठ नेता करण सिंह वर्मा 7 बार से विधायक बनते आ रहे हैं.

विधायक वर्मा दो बार प्रदेश के मंत्रीमंडल में सदस्य भी रह चुके हैं. बावजूद उनके विधानसभा क्षेत्र ग्राम पंचायत मोया पानी का सुआ खेड़ा गांव सड़क जैसी जरूरी सुविधाओं से जूझ रहा है. इस गांव की आबादी 500 की है. गांव में सडक़ नहीं होने की वजह से स्कूल के छात्र-छात्राओं को कीचड़ से सने रास्ते से ही स्कूल जाना पड़ता है.

सबसे अधिक मरीजों की फजीहत

गांव में सड़क नहीं होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को उठाना पड़ती है. ग्रामीण खटिया पर लादकर मरीज को दो किलोमीटर दूर पक्की सड़क तक ले जाते हैं, तब कहीं जाकर मरीज को एंबुलेंस या चार पहिया वाहन नसीब हो पाता है. ग्राम सुआखेड़ी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

मानवता को शर्मसार करता यह वीडियो 22 जुलाई का बताया जा रहा है. आशा नाम की एक महिला की डिलीवरी होनी थी, रास्ता खराब होने से एंबुलेंस गांव में नहीं पहुंच पाई और मजबूरन प्रसूता महिला को ग्रामीणों ने 2 किलोमीटर खटिया पर लाद कर पक्के रोड तक पहुंचाया, जिसके बाद महिला को चार पहिया वाहन से अस्पताल ले जाया जा सका.

15-20 साल से यही हाल

ग्रामीणों के अनुसार बीते 15-20 सालों से ग्राम में सडक़ का अभाव है. सड़क निर्माण के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. हर बार जनप्रतिनिधियों द्वारा महज आश्वासन ही दिया गया, लेकिन सड़क का निर्माण नहीं कराया जा सका. हर बारिश में ग्रामीणों को यूं कष्ट भरा जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है. ग्रामीण रामसिंह मालवीय ने बताया कि समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों की तो असमय मौत भी हो चुकी है