भोपाल, मध्य प्रदेश में हुए पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर प्रदेश में जमकर हंगामा मचा हुआ है. सीएम शिवराज सिंह चौहान भर्ती पर रोक लगाते हुए मामले की जांच कराने की बात कही थी. इस मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा को सौंपी गई है. जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले की जांच रिपोर्ट 31 अगस्त तक सरकार को सौपेंगे.

दरअसल, कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से आयोजित ग्रुप-2 , सब ग्रुप-4 और पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच के लिये माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिपति राजेन्द्र कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया है. जांच में उक्त परीक्षा से संबंधित शिकायतों एवं जांच के दौरान सभी बिंदुओं पर भी जांच की जाएगी. जांच के बाद रिपोर्ट को 31 अगस्त 2023 तक राज्य शासन को सौंपी जाएगी.

भोपाल में लगातार जारी है परीक्षार्थियों का हंगामा
मध्यप्रदेश मे इन दिनों पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर चल रहे बवाल के बीच अब सवाल उठने लगा है कि सत्तारूढ़ दल के लिए क्या एमपी की भर्ती परीक्षाओं में धांधली भारी पढ़ सकती है और क्या युवाओं का गुस्सा बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योकि मध्यप्रदेश में युवा वोटरों की संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले काफी बढ़ गई है और युवाओं के लिए बेरोज़गारी और नौकरी हमेशा से ही सबसे अहम मुद्दा होता है.

भोपाल के रहने वाले 30 साल के नीलेश श्रीवास्तव एमपीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. बीच में पटवारी भर्ती परीक्षा निकली तो सोचा इसमें भाग लेकर अनुभव मिल जायेगा जो आगे काम आएगा. नीलेश बताते हैं कि उनका मकसद सिर्फ परीक्षा देकर अनुभव हासिल करना था और इसलिए उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा दी. नीलेश के मुताबिक उनका चयन तो नहीं हुआ लेकिन वह अपने आप को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि पटवारी भर्ती परीक्षा पर जो सवाल उठ रहे हैं उससे डर इस बात का है कि जिन्होंने मेहनत कर के परीक्षा पास की उनका भविष्य अब खतरे में हैं क्योंकि सीएम के परीक्षा नतीजों की जांच के आदेश के बाद अब जॉइनिंग पर संकट आ गया है.

वहीं, रीवा की रहने वाली निधि सिंह का पटवारी भर्ती परीक्षा में चयन हो चुका है, लेकिन परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद अब निधि जॉइनिंग को लेकर परेशान है. निधि बताती है कि पटवारी भर्ती स पहले उन्होंने एमपीपीएससी परीक्षा दी, सीजीएल परीक्षा दी, CAT एग्जाम दिया. मगर सेलेक्शन पटवारी में हुआ तो लगा अब सब ठीक हो जाएगा, लेकिन जॉइनिंग पर संकट आ गया है. इसलिए सरकार से मांग है कि जल्दी से जॉइनिंग दे नहीं तो वह और उनके जैसे लाखों युवाओं की नाराजगी सत्तारुढ़ दल को झेलनी पड़ेगी.

युवा वोटर बनाएंगे सरकार
मध्यप्रदेश में युवा वोटरों की संख्या पर नजर डालें तो साफ हो जाएगा की सत्तारूढ़ दल के लिए भर्ती परीक्षाओं में धांधली और बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं का गुस्सा कितना भारी पड़ सकता है. मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग के मुताबिक साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या करीब 5 करोड़ 7 लाख थी जो 2023 तक बढ़कर करीब 5 करोड़ 40 लाख 90 हज़ार हो गई है. इसका मतलब पहली बार चुनाव में वोट डालने वाले 21 साल तक के युवा वोटरों की संख्या करीब 30 लाख है. वहीं, 18 से 40 साल तक के युवाओं की बात करें तो उनकी संख्या करीब 2 करोड़ 80 लाख है और इनमें से लाखों वह युवा बेरोज़गार हैं जो नौकरी की तलाश कर रहे हैं लिहाज़ा भर्ती परीक्षाओं में धांधली और बेरोज़गारी इनके लिए इस साल विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा है.

सवालों में रहा है एमपी में भर्ती परीक्षाओं का इतिहास
मध्यप्रदेश में भर्ती परीक्षाओं का इतिहास हमेशा से ही विवादों में रहा है. पटवारी भर्ती परीक्षा से पहले कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षा भी उस समय विवादों में आ गई थी जब कई सारे छात्रों को 190 से ज्यादा या उसके आसपास अंक मिले थे और टॉप 10 में आए सभी छात्र ग्वालियर-चंबल संभाग से थे. इसके बार कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. इसके अलावा नर्स के पदों पर भर्ती के लिए आयोजित MP NHM परीक्षा को भी पेपर लीक होने के बाद रद्द कर दिया गया था. स्‍टाफ नर्स 2284 पदों पर भर्ती के लिए 45,000 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. पेपर लीक की खबर सही पाए जाने के चलते पूरा पेपर रद्द कर दिया गया था.