ग्वालियर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मध्य प्रदेश में दिए गए बयान के बाद इस पर चर्चा तेज हो गई है। इस बीच ग्वालियर पहुंचीं मशहूर कथावाचक जया किशोरी ने भी इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जया किशोरी ने कहा कि जो काम देश हित के लिए हो, उसे जरूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिससे देश को फायदा हो लोगों को भी उसका समर्थन करना चाहिए। राजनीति में प्रवेश के सवाल अपना रुख स्पष्ट करते हुए जया किशोरी ने कहा कि उनका मन नहीं है। वहीं, राजनीति में धर्म के प्रयोग को लेकर उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण वाली सीख दी। उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी महाभारत में राजनीति की थी अगर कृष्ण सी राजनीति करेंगे तो जीत जाएंगे, और अगर दुर्योधन जैसी राजनीति करेंगे तो पराजय मिलना निश्चित है।
कथा के लिए ग्वालियर पहुंचीं जया किशोरी ने मीडिया के कई सवालों के खुलकर जवाब दिए। नेताओं के संतों के शरण में जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अच्छी सोच के साथ कोई अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ जाता है तो उसमें किसी तरह की बुराई नहीं है। फिर वह व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जुड़ा हो, चाहे बिजनेसमैन हो या साधारण व्यक्ति हो या फिर कोई संत हो। अच्छे मन से और अच्छे विचार से किसी से जुड़ने में कोई गलत बात नहीं है।
बेहद कम उम्र में धर्म की ओर झुकाव और प्रेरणा के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘6 साल की उम्र से मैंने धार्मिक भजन गाए थे और 12-13 साल की उम्र से कथा कर रही हूं। श्री कृष्ण और भगवान श्री राम की कथाओं कहानियों को सुनकर ही धर्म और अध्यात्म की ओर झुकाव हुआ। काफी कम उम्र से ही मेरी जिज्ञासा भगवान के प्रति बढ़ती गई और भगवान से लगाव का ही नतीजा है कि लोग आज कथा सुनने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
वहीं, फिल्म आदि पुरुष में रामायण के पात्रों के विवादित चित्रण और संवाद को लेकर चल रहे विवाद पर जया किशोरी ने कहा, ‘फिल्म कैसे पास हुई यह सरकार का मामला है और सरकार की सरकार ही जाने। लेकिन मैं तो इतना ही कहना चाहूंगी कि आप जो देख रहे हैं वह देखिए, लेकिन उससे जुड़ी नॉलेज भी रखिए। खासकर बच्चों को छोटी उम्र से ही धार्मिक ग्रंथ और अध्यात्म की जानकारी दिया जाना जरूरी है। बच्चों को बचपन से ही उन्हें धर्म और साहित्य के बारे में बताएं। मैं केवल इतना कहना चाहती हूं की फिल्म कोई भी हो उसमें मर्यादा होनी चाहिए। भगवान राम और रामायण से लोगों की श्रद्धा जुड़ी है उसका ध्यान रखा जाना जरूरी था।’