ग्वालियर| मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हिंदी हमारे भाव को व्यक्त करने की भाषा है। आज हिंदी का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में हो रहा है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जब याद आते हैं तो उनका मनमोहक स्वरूप याद आता है मां सरस्वती उनकी जीभा पर विराजती थी। अटल जी का भाषण ओजस्वी भाषण होता था। उनका हिंदी के क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है। मुख्यमंत्री चौहान ने शनिवार को ग्वालियर में मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर के हिन्दी भवन के भूमिपूजन समारोह में यह बात कही। इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, जल संसाधन मंत्री और ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चंद्र त्रिवेदी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर सहित अन्य गणमान्य नागरिक, साहित्यकार उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनकी हिंदी भाषा के लिए उनके योगदान को याद किया जा सकता है। उसी प्रकार आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदी को पूरी दुनिया में स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब पूरे प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई को भी हिंदी में किया गया है, जिससे हिंदी भाषी बच्चों को समस्या ना हो। मध्य प्रदेश हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। ग्वालियर में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा के हिंदी भवन का भूमिपूजन करके खुशी हो रही है। अब इस भवन का निर्माण भी जल्दी पूरा किया जाएगा ।केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अटल जी की मंशा थी कि साहित्य को बढ़ावा दिया जाए। इस दिशा में उन्होंने उल्लेखनीय प्रयास किए। आज यहां हिंदी भवन का भूमि पूजन किया गया है जिससे यहां सभागार में कार्यक्रम हो सकें और बड़े आयोजन हो सकें और अटल जी का स्वप्न पूरा हो।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तहत मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा का साहित्य के क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्य सभा की स्थापना वर्ष 1902 में हुई और तब से यह हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में यह लगातार काम कर रही है। कई प्रतिभाएं इससे जुड़ी हैं।