नई दिल्ली, देश में सेवा एंव वस्तु कर (GST) को लागू हुए करीब 6 साल हो चुके हैं. सरकार लगातार सिस्टम को दुरुस्त करने में लगी है, ताकि टैक्स चोरी को रोका जा सके. इस बीच पिछले कुछ महीने से लगातार जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो रहा है. लेकिन हर महीने देश के किसी-न-किसी कोने से टैक्स चोरी मामला सामने आ रहे हैं. शातिर लोग तरह-तरह से टैक्स चोरी के हथकंडे अपना रहे हैं. हालिया दिनों में जीएसटी फ्रॉड (GST Fraud) के कुछ ऐसे मामले आए हैं. जिससे सिस्टम के कान खड़े हो गए हैं.

कानपुर में GST स्कैम का खुलासा
ताजा मामला कानपुर का है, जहां पिछले हफ्ते GST और इनकम टैक्स (Income Tax) की बड़ी चोरी का खुलासा हुआ. काम कबाड़ी का था, लेकिन उसकी आड़ में करोड़ों की टैक्स चोरी को अंजाम दिया जा रहा था. आरोपी स्क्रैप डीलर, बैटरी डीलर और अन्य व्यापारियों को फर्जी बिल सप्लाई करता था. इन फर्जी बिलों में वह जिन लोगों से सामान की खरीद दिखाता था, वह और कोई नहीं बल्कि रिक्शेवाले और कबाड़ उठाने वाले जैसे गरीब तबके के लोग थे. जिसके बाद फर्जी आईटीसी क्लेम और जीएसटी में रिबेट भी लेते थे. आरोपी ने करीब 250 करोड़ से ज्यादा के ट्रांजैक्शन कर डाले और सरकार को टैक्स में 80 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया.

नोएडा में 5 साल से चल रहा था खेल
इससे पहले जून महीने के पहले हफ्ते में दिल्ली से सटे नोएडा फर्जी फर्म तैयार कर GST का हेरफेर किया जा रहा था. खुलासा हुआ कि गलत तरीके से GST नंबर तैयार कर बिना माल की डिलीवरी किए फर्जी बिल तैयार कर लेते थे. इसके बाद जीएसटी रिफंड लेकर सरकार के राजस्व को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचा रहे थे. ये गिरोह पिछले 5 सालों से संगठित रूप से इस तरह की फर्जी फर्म तैयार कर गड़बड़ी कर रहा था.

गिरोह की 2 टीमें काम करती थीं. पहली टीम फर्जी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, बिजली बिल वगैरह का उपयोग कर फर्जी फर्म GST नंबर तैयार करती थी. वहीं दूसरी टीम फर्जी फर्म जीएसटी नंबर से पहले टीम से खरीद-फरोख्त कर फर्जी बिल तैयार कर जीएसटी रिफंड आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करती थी. इस तरह से ये लोग हजारों करोड़ के राजस्व का चूना लगा रहे थे.

पुलिस को 2660 फर्जी GST फर्म तैयार किए जाने की जानकारी मिली. जिसमें बिना माल का डिलीवरी किए फर्जी बिल तैयार कर जीएसटी रिफंड करा लिया जाता था. एक फर्जी फर्म से एक महीने में 2-3 करोड़ रुपये का फर्जी बिल उपयोग किया जाता था. इस तरह से करीब 10 हजार करोड़ के हेरफेर की बात सामने आई है.

16 मई से देशभर चल रहा है अभियान
दरअसल, केंद्र सरकार ने GST चोरी का पता लगाने के लिए 16 मई से 15 जून तक विशेष अभियान चला रखा है. इस अभियान का मकसद फर्जी बिल, फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन और गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) का लाभ लेने वालों का पता लगाना है. संदिग्ध GST खातों और फर्जी बिल जारी करने वाले संस्थानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसमें आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय व कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय समेत अन्य एजेंसियां शामिल हैं. इसके तहत पहले सप्ताह में ही 10,000 फर्जी पंजीकरण का पता चला था.
फर्जीवाड़े के खिलाफ अभियान

इस अभियान के तहत खुलासा हुआ है कि मुखौटा कंपनी बनाकर उनके GST पंजीकरण के जरिये सरकार को 30 हजार कराड़ रुपये चूना लगाया गया है, फर्जीवाड़े का ये रैकेट देश के 16 राज्यों में चल रहा था. जिससे जुड़े 16 हजार फर्जी GST पंजीकरण जांच में सामने आए हैं. इस दौरान करीब 5 हजार मुखौटा कंपनियों की पहचान की गई है

4909 कारोबारी संस्थान घेरे में
इस रैकेट ने पीएम किसान, ग्रामीण रोजगार योजना व अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा चोरी कर पहले GST पंजीकरण कराया जाता था, और फिर बोगस कारोबार और फर्जी बिलों के जरिये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत फायदा उठाकर टैक्स चोरी को अंजाम दिया जाता था. जांच में पैन और आधार कार्ड के जरिये 18 हजार घपलों का भी पता चला है.

मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश कुमार जाटव के मुताबिक फर्जी कारोबारी प्रतिष्ठानों के देशभर में फैले नेटवर्क के जरिये 8100 करोड़ रुपये से ज्यादा की GST की चोरी के सुराग मिले हैं. छानबीन के दौरान देशभर में कुल 4,909 कारोबारी प्रतिष्ठान संदिग्ध पाए गए. इनमें दिल्ली के सर्वाधिक 1888, उत्तर प्रदेश के 831, हरियाणा के 474, तमिलनाडु के 210, महाराष्ट्र के 201, तेलंगाना के 167 और मध्य प्रदेश के 139 प्रतिष्ठान शामिल हैं.

जांच के घेरे में आए इन 4,909 प्रतिष्ठानों ने वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान GST के रिटर्न में करीब 29,000 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाया और जांच में इनकी ओर से करीब 8103 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है. यहां भी फर्जी बिलों के जरिये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का गलत फायदा उठाकर अंजाम दिया गया.

देश में लगातार आ रहे हैं GST फ्रॉड के मामले
बता दें, 16 मई से विशेष जांच अभियान शुरू होने से पहले डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (DGGI) और डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (DRI) ने 24 बड़े इम्पोर्टर्स द्वारा 11,000 करोड़ रुपये की कथित आईजीएसटी (IGST) चोरी का पता लगाया था. रिपोर्ट में बताया गया कि 24 मामलों में 11,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता चला है. टैक्स चोरी में लिप्त पाई गईं 9 इकाइयों को नोटिस भेजा गया.

गौरतलब है कि जीएसटी में फर्जीवाड़ा केंद्र और राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस बीच नकली बिल लगाकर जीएसटी (GST) चोरी करने वालों पर शिकंजा और सख्त करने की तैयारी है. इसके लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन और रिटर्न के अतिरिक्त सत्यापन की प्रणाली लागू की जा सकती है. दरअसल, जुलाई में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड (CBIC) के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है. जीएसटी काउंसिल की बैठक 11 जुलाई को होने वाली है.