भोपाल। मध्यप्रदेश में 6 साल में 35 हजार बेटियों के गायब होने से सनसनी फैल गई है। अभी तक तो बेटियों को गर्भ में ही मार देने की कुप्रथा समाज में पनप रही थी लेकिन अब बेटियों को जन्म के बाद गायब होने का सिलसिला शुरु हो गया है।गायब हो रही लडकियों को लेकर मानवाधिकार आयोग ने भी सख्ती बरती है। मानव अधिकार आयोग ने जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों से जवाब मांगा है।
उप सचिव मानव अधिकार आयोग कुलदीप जैन ने बेटियों की तस्करी और उनके साथ किये जा रहे अमानवीय व्यवहार के आधार पर जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों से 18 अक्टूवर तक प्रतिवेदन मांगा है।
ग्वालियर, विदिशा, होशंगाबाद, रीवा, सतना, उज्जैन, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर दतिया भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, शिवपुरी, छिंदबाडा बैतूल,मण्डला, छतरपुर, सागर, मंदसौर,दमोह, पन्ना में बेटियों का अपहरण कर बेचने का कारोबार कई सालों से चल रहा है। लेकिन प्रशासन व पुलिस के आला अधिकारी इन गायब लडकियों का पता लगाने में कोई रुचि नहीं लेने से बेटियों को गायब करने बालों के होंसले और भी बढते जा रहे हैं।