भोपाल मध्यप्रदेश में विकेन्द्रीकृत नियोजन की दिशा में किये गये बेहतरीन काम के लिये राष्ट्रीय-स्तर का प्लेटिनम स्कॉच अवार्ड मिला है। यह पुरस्कार गत दिवस केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर से अपर मुख्य सचिव योजना, आर्थिक-सांख्यिकी श्रीमती अजिता वाजपेयी पाण्डेय ने प्राप्त किया। श्रीमती पाण्डेय ने सोमवार को योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री श्री जयंत मलैया को प्लेटिनम पुरस्कार प्रस्तुत किया।

विकेन्द्रीकृत नियोजन की अवधारणा को अमल में लाते हुए प्रदेश के सभी 50 हजार 982 गाँव के मास्टर प्लान बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इस कार्य के लिये मध्यप्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र में संकल्प पारित किया गया था। इस अवधारणा की सबसे बड़ी खूबी यह है कि पहले गाँवों में होने वाले काम विभाग तय करते थे। अब गाँव के लोग तय करते हैं और विभाग उन पर सिर्फ अमल करते हैं। इससे ग्रामीणों में आत्म-सम्मान और स्वामित्व का भाव बढ़ा है। मास्टर प्लान को क्रियान्वित करने के लिये राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किये हैं। उनसे 2015-16 की जिला योजना तैयार करने को भी कहा गया है। निर्देशों में कहा गया है कि गाँव में ग्रामीणों द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखे गये कार्य को सबसे पहले किया जाये। ऐसा न करने पर जिले की योजना मंजूर नहीं की जायेगी।

इस बड़े कार्य को लगभग एक करोड़ 95 लाख ग्रामीण की सक्रिय भागीदारी से अंजाम दिया गया है। इस कार्य में 1250 स्वयंसेवी संस्था, 50 हजार से अधिक जन-प्रतिनिधि, 10 हजार 400 तकनीकी सहायता दल और 62 हजार 400 जमीनी अमले ने भी सक्रिय सहभागिता की। मास्टर प्लान में विशेष रूप से पेयजल, बारहमासी सड़कों, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं, खाद्य सुरक्षा सहित अन्य सुविधाओं को प्राथमिकता दी गई है।

-Mijaji lal jain(Swatantr Patrakar)

जिला कलेक्टरों को वर्ष 2015-16 की जिला योजना बनाने के लिये कार्यक्रम और समय-सारिणी तैयार कर भेजी गई है। ग्राम मास्टर प्लान में समुदाय की माँग वाली गतिविधियों में से अनेक गतिविधियाँ संबंधित विभागों द्वारा स्वीकृत नहीं की गई हैं। निर्देश में कहा गया है कि इस स्थिति को देखते हुए जिला निर्माण प्रक्रिया में वर्ष 2015-16 के लिये परिवर्तन करते हुए नई सामुदायिक माँगों को न जोड़ते हुए पूर्व में स्वीकृत गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाये। वर्ष 2015-16 की नियोजन प्रक्रिया की तकनीकी सहायता दलों द्वारा विगत वर्षों की तरह नियोजन इकाइयों का ग्राम स्तरीय भ्रमण किया जाये। इस वर्ष पुन: नवीन सामुदायिक माँगों को न जोड़ते हुए पूर्व में समुदाय द्वारा माँग की गतिविधियों पर पुन: समुदाय से चर्चा कर स्वीकृत गतिविधियों के क्रियान्वयन की स्थिति तथा शेष गतिविधियों का वेलिडेशन किया जाये। प्राथमिकताएँ दोबारा निर्धारित कर उन्हें संबंधित विभाग की योजना से जोड़ा जाये।

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