इंदौर। मप्र के इंदौर में पुलिस ने ऐसे जालसाजों को गिरफ्तार किया है, जो गाड़ियों का सौदा बड़े ही शातिराना तरीके से करते थे। हैरानी की बात तो यह है कि इन शातिर जालसाजों ने एक-दो नहीं बल्कि 5 करोड़ कीमत की 44 गाड़ियों के मालिकों के साथ धोखाधड़ी की है। पुलिस के पास जब गाड़ियों के चोरी होने की शिकायत मिलने लगी तो पुलिस एक्टिव हो गई और उसके बाद पुलिस ने अपना नेटवर्क बिछाकर चार वाहन चोरों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से पुलिस ने 44 गाड़ियां बरामद की हैं, जिनकी कीमत करीब 5 करोड़ रुपए है। पुलिस ने इन वाहन चोरों को जिले के नजदीक महू से गिरफ्तार किया। ये चोर गाड़ी किराए से लेते थे और फिर उनके नकली कागजात बनवाकर गिरवी रख देते थे।
इंदौर एसपी महेश चंद जैन ने बताया कि आरोपी देवेन्द्र ठाकुर के खिलाफ पुलिस को कई शिकायतें मिलीं। ये शिकायतें इंदौर समेत महू के अलग-अलग थाना क्षेत्र की हैं। इनमें बताया गया कि देवेंद्र ने बड़ी संख्या में चार पहिया गाड़ियों को 20 से 30 हजार रुपए में किराए से लिया था। इसके बाद न पैसा मिला, न गाड़ी। ये गाड़ियों को गिरवी रख भाग जाते थे। पुलिस ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए टीमें तैयार की गईं और मुखबिर तंत्र को एक्टिव किया गया। कुछ दिन बाद जानकारी मिली की चारों आरोपी महू में हैं। पुलिस टीम ने आरोपियों की घेराबंदी कर दबिश दी और चारों को गिरफ्तार कर लिया।
थाने पहुंचे कई फरियादी
जानकारी के मुताबिक, कई फरियादी अलग-अलग थानों में पहुंचे थे। उन्होंने बताया था कि देवेंद्र ठाकुर व उसके साथी श्याम सुनेर, दीपक रघुवंशी और रितेश वर्मा उनके चार पहिया वाहन किराए पर लेते थे। इसके कॉन्ट्रेक्ट लेटर पर देवेंद्र सिंह ठाकुर के नाम पर वाहन मालिक के साथ लिखा जाता था। कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक, गाड़ी टैक्सी के रूप में चलती थी और हर महीने 20-30 हजार रुपए देने की बात होती थी। फरियादियों ने बताया कि ये चारों गाड़ी तो ले गए लेकिन न किराया दिया और न गाड़ी। चारों चोरों ने फरियादियों की गाड़ियों को फर्जी कागजात और हस्ताक्षर तैयार कर दूसरों के पास गिरवी रख दिया था।
कई जिलों में की वारदात
पुलिस ने चारों आरोपियों देवेन्द्र ठाकुर (22 वर्ष) पिता प्रदीप ठाकुर, श्यामसिह सुनेर (25 वर्ष) पिता मेहरबान सिह सुनेर, दीपक रघुवंशी (40 वर्ष) पिता कृष्ण सिह रघुवंशी और रितेश वर्मा (21 वर्ष) पिता जीवन वर्मा से सख्ती से पूछताछ की है। पूछताछ में इन्होंने बताया कि कई गाड़ियां धार, सीहोर, खरगोन, देवास, इंदौर और अन्य जिलों से किराए पर ली गईं और फिर गाड़ी मालिक के नकली हस्ताक्षर और फर्जी स्टाम्प बनाकर बेच दी गईं।