इंदौर। मध्य प्रदेश के महू में सेना के ट्रेनी अफसरों की दो महिला मित्रों में से एक के साथ गैंगरेप करने के आरोप में पांच लोगों को सजा सुनाई गई। सोमवार को एक सत्र न्यायालय ने सजा सुनाने के साथ ही गैंगरेप पीड़िता को 50,000 और बाकी तीन पीड़ितों को 10-10 हजार रुपए देने का भी आदेश दिया।

मध्य प्रदेश के महू में सोमवार को एक सत्र न्यायालय ने सेना के दो ट्रेनी अफसरों और उनकी दो महिला मित्रों को लूटने, मारपीट करने और उनका अपहरण कर एक के साथ गैंगरेप करने के आरोप में पांच लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। पिछले साल 11 सितंबर को सुबह 2 से 3 बजे के बीच महू-मंडलेश्वर रोड पर जाम गेट पर हुई यह घटना देश भर में सुर्खियों में रही थी। महू कोर्ट की विशेष लोक अभियोजक संध्या उइके ने बताया कि चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविशंकर दोहरे ने अनिल बारोड़ (27), पवन वसुनिया (23), रितेश भाभर (25), रोहित गिरवाल (23) और सचिन मकवाना (25) को उम्रकैद की सजा सुनाई।

उइके ने बताया कि उन्हें गैंगरेप पीड़िता को 50,000 रुपये और बाकी तीन पीड़ितों को 10-10 हजार रुपये देने का आदेश दिया गया है। उइके ने बताया कि छठा आरोपी नाबालिग है और उसके खिलाफ किशोर न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। उइके ने बताया कि लूट, अपहरण और गैंगरेप की यह घटना पिछले साल 11 सितंबर को सुबह 2 से 3 बजे के बीच महू-मंडलेश्वर रोड पर स्थित जाम गेट के पास हुई थी। इन्फैंट्री स्कूल महू के दो ट्रेनी आर्मी अफसर अपनी दो महिला मित्रों के साथ वहां गए थे। अचानक छह लोगों ने पिस्तौल तान दी, उन पर हमला कर दिया और लाठियों से उनकी पिटाई की।

उन्होंने ट्रेनी आर्मी अफसरों से 10 लाख रुपए मांगे और पैसे न देने पर जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने उनके मोबाइल फोन और 800 रुपए लूट लिए। इसके बाद उन्होंने एक ट्रेनी अफसर और उनकी गर्लफ्रेंड को इन्फैंट्री स्कूल जाकर रकम का इंतजाम करने को कहा। उइके ने बताया कि उन्होंने एक ट्रेनी अफसर और एक गर्लफ्रेंड को बंधक बना लिया, जिसके साथ रितेश भाभर और अनिल बारोड़ ने गैंगरेप किया। उन्होंने बताया कि अगले दिन बड़गोंडा थाने में मामला दर्ज किया गया। मामले की अंतिम रिपोर्ट 12 अक्टूबर को अदालत में पेश की गई।

उइके ने बताया कि अभियोजन पक्ष की दलीलें 26 अक्टूबर को शुरू हुईं और बचाव पक्ष के गवाहों के बयान इस साल 20 मार्च को दर्ज किए गए। अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की अंतिम दलीलें 21 मार्च को खत्म हुईं, जो मामला दर्ज होने की तारीख से ठीक पांच महीने और 12 दिन बाद हुआ।