भोपाल । इस बार विधानसभा चुनाव में जीएसटी का तड़का पार्टियों के साथ उम्मीदवारों की जेब पर भारी पड़ रहा है। 13 दिनों बाद मतदान है और प्रत्याशियों ने सघन जनसंपर्क शुरू कर दिया है। प्रचार के लिए टी-शर्ट और साड़ियां पहली पसंद है, लेकिन वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनावों की अपेक्षा इस बार प्रचार सामग्री की कीमतों में 10 प्रतिशत तक उछाल आया है। इसके अलावा 18 प्रतिशत जीएसटी की मार पर भी भारी पड़ रही है। हालांकि शहर में अब तक करीब 50 लाख रुपए की प्रचार सामग्री का व्यापार हो चुका है।
नेहरू टोपी पर कांग्रेसियों के स्लोगन व बड़े नेताओं के चहरे की मांग हमेशा से ज्यादा रही है। लिहाजा व्यापारियों ने इस पैटर्न पर भाजपा नेताओं की तस्वीर छाप कर बाजार में बेचने के लिए उतारी। लेकिन नेहरू टोपी पर कमल का निशान और भाजपा नेताओं के चहरे का प्रिंट भाजपाइयों को रास नहीं आया। लिहाजा यह टोपी नहीं बिकी । भाजपाइयों ने कैप (धूप से बचने वाली) ही खरीदी हैं। हालांकि प्रचार की अन्य 20 हजार टोपियों का व्यापार हो चुका है।
बीते चुनावों की अपेक्षा इस बार प्रचार सामग्री के ट्रेंड में बदलाव आया है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही बड़े राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों की पहली पसंद टी-शर्ट और साड़ियां बनी हैं। किसी साड़ी के पल्ले में ही पार्टी का निशान है तो कुछ में पार्टी के स्लोगन लिखे गए हैं। इनकी कीमतें भी अन्य प्रचार सामग्री से ज्यादा है। उधर, अधिकांश प्रत्याशी अपने साथ प्रधानमंत्री मोदी, सीएम शिवराज सिंह चौहान, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के चहरे के साथ प्रिंट की गई टी-शर्ट की मांग ज्यादा कर रहे हैं। इसके अलावा चादर, पर्दों और अलग-अलग प्रकार की टोपियों की मांग है।
चुनाव प्रचार सामग्री के दुकानदारों ने बताया कि कांग्रेसियों की सबसे ज्यादा मांग पुरुषों के कुर्तों की हैं। इसमें या तो पार्टी का चिन्ह या पीछे की ओर वरिष्ट नेताओं की फोटो। हजारों की संख्या ऐसे कुर्ते बिक चुके हैं और इनकी बुकिंग भी जारी है। इसके अलग-अलग नेताओं के फोटो वाले पेन भी हजारों की संख्या में बिके हैं।
पुराने समय से प्रचार के लिए उपयोग में लाई जा रही सामग्री को भाजपाई को ज्यादा पसंद हैं। इनमें गमछे, बिल्ले, झंडे, स्टीकर, टू व फोर व्हीलर में लगाए जाने वाले झंडे, पोस्टर की मांग लगातार आ रही है। पार्टी और उम्मीदवार स्तर पर इनकी ब्रिक्री अब तक सबसे ज्यादा हुई है। कुछ प्रत्याशियों ने बड़े व छोटे बैग (झोला) की डिमांड भी ज्यादा की है।
शहर में अब तक सपाक्स की प्रचार सामग्री की डिमांड नहीं आई। लिहाजा इसकी सामग्री तैयार नहीं कराई गई। हालांकि छोटे दलों में गोंडवाना पार्टी, सवर्ण समाज पार्टी, लोकसेवा पार्टी, सांझी विरासत पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और शिवसेना की भी प्रचार सामग्री बिक रही है।
चुनावी सामग्री का व्यापार करने वाले बताते हैं कि पहले चुनावों में कार्यकर्ता और समर्थक भी बड़े उत्साह से न सिर्फ सामग्री खरीदते थे बल्कि आर्डर भी देते थे। लेकिन अब एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है महंगी सामग्री खरीदने से दल और नेता परेहज कर रहे हैं। राजधानी में बीते एक सप्ताह से ही खरीदी ने जोर पकड़ा है।