भोपाल । मप्र में मौत के 465 ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं यहां से गुजरना जानलेवा साबित हो सकता है। ट्रैफिक पुलिस और रोड सेफ्टी की भाषा में ब्लैक स्पॉट उसे कहते हैं जहां दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। हर साल प्रदेश में मौत के ब्लैक स्पॉट बढ़ते जा रहे हैं। यहां पर होने वाले हादसों के बाद भी जिम्मेदार अफसरों की नींद नहीं खुल रही है। यदि सामूहिक जिम्मेदारी से काम किया जाए तो प्रदेश में सड़क हादसों में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाया जा सकता है।

प्रदेश में हर साल ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ती जा रही है। 2019 में ब्लैक स्पॉट की कुल संख्या 455 थी जो साल 2020 में बढ़कर 465 हो गई। 5 जिलों में ब्लैक स्पॉट की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, जबकि 2019 की तुलना में 2020 में 5 जिले रायसेन, सीहोर, खरगोन, देवास और कटनी में ब्लैक स्पॉट की संख्या में कमी आई।

इन जिलों में राहत

रायसेन जिले में 22 ब्लैक स्पॉट 2019 में थे लेकिन 2020 में यह ब्लैक स्पॉट कम होकर 8 हो गए। सीहोर में 2019 में 24 ब्लैक स्पॉट थे जो 2020 में कम होकर 16 हो गए। खरगोन में 2019 में 29 ब्लैक स्पॉट थे जो 2020 में 21 हो गए, देवास में 2019 में 14 ब्लैक स्पॉट थे जो अब 8 रह गए। कटनी जिले में 2019 में ब्लैक स्पॉट 23 थे जो 2020 में कम होकर 18 रह गए।

5 जिलों में ब्लैक स्पॉट बढ़े

मध्यप्रदेश में 2019 की तुलना में 2020 में ब्लैक स्पॉट की संख्या सबसे ज्यादा 5 जिलों में बढ़ी है। सागर जिले में 1 साल के अंदर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ी। सागर में 2019 में 11 ब्लैक स्पॉट थे जो 2020 में 28 हो गए। छिंदवाड़ा में 8 से 17, धार में 6 से 14 हो गए। सीधी में 9 से 14 और जबलपुर में 10 से 16 ब्लैक स्पॉट हो गए।

भोपाल में 22 ब्लैक स्पॉट

सड़क हादसों को देखते हुए भोपाल शहर में 22 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। इन स्थानों पर बड़े हादसे रोकने के लिए छोटे-छोटे सुधार कार्य करने जरूरी हैं। शहर में आनंद नगर, गांधी पार्क, मालवीय नगर, बोगदा पुल तिराहा, सुदामा नगर कॉलोनी रोड, डीआईजी बंगला चौराहे से करोंद मार्ग, एयरपोर्ट रोड पर ब्रिज के नीचे पेट्रोल पंप क्रॉसिंग, मंदाकिनी चौराहा, आरआरएल तिराहा, राजमार्ग 28 भोपाल बायपास पर कट पॉइंट, अयोध्या नगर चौराहा, छोला गणेश मंदिर रोड, बागसेवनिया तिराहा, ट्रिनिटी कॉलेज डिवाइडर, साक्षी ढाबा, पत्रकार भवन से अंकुर स्कूल, ओरिएंटल कॉलेज तिराहा ब्लैक स्पॉट हैं। इन जगहों पर लगातार सड़क दुर्घटना होने के कारण ट्रैफिक पुलिस ने इन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित किया है।

ऐसे होते ब्लैक स्पॉट

राष्ट्रीय राजमार्ग पर 500 मीटर का वह क्षेत्र जहां पिछले 3 साल में या तो 5 सड़क दुर्घटना या 10 मौत  हुई हों, उस जगह को ब्लैक स्पॉट कहते हैं। सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी एंड मोरथ ने ब्लैक स्पॉट के संबंध में जो दिशा निर्देश दिये हैं उसका लीड एजेंसी पीटीआरआई सभी सड़क नोडल निर्माण एजेंसी से पालन करवाती है और उसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी को भेजती है।

ट्रैफिक सेंस ऑन एक्सीडेंट जोन

दुर्घटनाओं को रोकने के लिये ट्रैफिक सेंस का होना निहायत ही जरूरी है। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये जरूरी है कि ब्लैक स्पॉट्स को बनने से रोका जाए। इसके लिए सड़क सुरक्षा नीति-2015 में बताए गये 4-ई पर अमल जरूरी है। ट्रैफिक सेंस को बढ़ावा देने के लिये स्कूली विद्यार्थियों को जागरुक करना जरूरी है। दुर्घटना में घायल लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने और मदद करने वालों के लिये कानूनी प्रावधानों के प्रति लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है

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