शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने 11 दिसंबर 2022 को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर शपथ ली. शपथ के साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया था. इन 7 सात महीनों में कितनी व्यवस्था बदली है ये तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि कानून-व्यवस्था का हाल खराब है. सुक्खू सरकार के अब तक के कार्यकाल को देखें तो प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं. हिमाचल पुलिस की अपराध संबंधी रिपोर्ट को खंगाले तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

हिमाचल पुलिस के आंकडों के अनुसार, एक जनवरी 2023 से 31 मई 2023 के 151 दिन के भीतर 38 लोगों का मर्डर हुआ है. बलात्कार के 150 मामले सामने आए हैं. मर्डर के 38 मामलों में 11 महिलाएं हैं, जिनकी हत्याएं हुई हैं. जून महीने की शुरूआत में चंबा के सलूणी में नृशंस हत्याकांड सामने आया. मनोहर नाम के युवक को निर्मम तरीके से मौत के घाट उतारा गया और लाश के टुकड़े टुकड़े कर दिए गए.

पुलिस के अनुसार, इस साल के शुरूआती 5 महीनों में प्रदेश के अलग अलग-थानों में हत्या के प्रयास के 26 मामले दर्ज किए गए, रेप के 150, अपहरण के 183, महिलाओं के प्रति क्रूरता के 92, यौन शोषण के 196, दंगे की धाराओं के तहत 130, चोरी के 309, सेंधमारी के 216, डकैती का 1 मामला और रॉबरी के 5 मामले दर्ज हुए. इन सभी मामलों के अलावा आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत दर्ज मामलों को जोड़ें तो 31 मई तक हिमाचल में 5305 एफआईआर दर्ज हुई हैं. इन्हीं मामलों में से महिलाओं के प्रति अपराधों को देखें तो 11 मर्डर के अलावा हत्या के लिए उकसाने के 18 मामले, क्रूरता के 92, छेड़छाड़ के 32, दहेज से संबंधित एक और इममोरल ट्रैफिक एक्ट के तहत 6 मामले दर्ज हुए हैं.

एससी एएसटी एक्ट के तहत प्रदेश में इन पांच महीनों में 99 मामले दर्ज हुए हैं. इस दौरान बड़े स्तर पर कई प्रदर्शन भी हुए हैं.प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में हुए प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों के सामने कई बार पुलिस बेबस भी नजर आई है.हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू एक महीने की लंबी छुट्टी पर चले गए हैं, लेकिन हैरानी है कि सुक्खू सरकार ने किसी अधिकारी को डीजीपी का कार्यभार भी नहीं सौंपा है.

क्या कहती है भाजपा
नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने 20 जून को बयान जारी कर कहा कि इस सरकार के अब तक के कार्यकाल में जनता परेशान है. सरकार के शुरूआती 6 महीनों में ही प्रदेश में अराजकता और गुण्डागर्दी का माहौल है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल के लोग सुक्खू सरकार की कारगुज़ारियों के कारण सड़क पर उतरने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि यदि सुक्खू सरकार ने छह महीने में प्रदेश का यह हाल कर दिया है तो आगे क्या होगा.

सरकार का पक्ष क्या कहता है
कानून-व्यवस्था पर सीएम के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा कि ये आंकड़ा सरकार के ध्यान में नहीं है,कानून-व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता है. पूर्व सीएम के बयान पर उन्होंने कहा कि ऐसा बोलना नेता प्रतिपक्ष की मजबूरी है, 2024 के चुनावों के लिए भाजपा में नेता बनने की होड़ है, इसलिए ये बयानबाजी की जा रही है. उन्होंने कहा कि सीएम को अपना कार्यकाल देखना चाहिए, पूर्व सरकार के समय पर्चे लीक हुए, कई आपराधिक घटनाएं सामने आईं जिससे देवभूमि का नाम खराब हुआ. उन्होंने कहा कि चंबा में हुई घटना पर उचित कार्रवाई की गई है और मामले की जांच जारी है और शिमला में टैक्सी यूनियन वाली घटना को तूल नहीं देना चाहिए, विपक्ष इस पर राजनीति न करे.