नई दिल्ली. स्वरूपनगर में सात साल के बच्चे को किडनैप करने के बाद हत्या के मामले में पुलिस की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है। बच्चे के घर से 4 मकान छोड़कर पांचवें मकान में ही 38 दिन तक आरोपी ने शव छिपाए रखा और पुलिस आंखें मूंदे रही। जबकि गली में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी साफ दिख रहा था कि बच्चा आखिरी बार आरोपी के घर के पास ही दिखाई दिया था। गली में आरोपी के मकान से आगे लगे दूसरे सीसीटीवी कैमरों में बच्चा कहीं नजर नहीं आ रहा है। इसके बावजूद पुलिस ने आरोपी का घर छोड़कर आसपास के 50 से ज्यादा घरों की तलाशी ली। यहां तक कि पुलिस ने घरों में रखी अलमारी और बक्से से लेकर पानी की टंकियों तक की तलाशी ली।

बहन ने बताया था कि आरोपी ने साइकिल देने की बात कही थी
आशीष के दादा लाल सिंह ने पोते के गायब होने के कुछ दिन बाद ही पुलिस को अवधेश पर शक होने की बात बताई थी। उस वक्त शक इसलिए हुआ था कि घटना के दिन आशीष ने अपनी बड़ी बहन गुंजन को यह बताया था कि उसे अवधेश चाचा ने शाम को साइकिल दिलाने के लिए बुलाया है। उसने बहन को यह बात मां से नहीं बताने को कहा था। बता दें कि वारदात के बाद 18 दिन तक आरोपी केस दर्ज कराने से लेकर हर जगह परिजनों के साथ रहा।

मां ने बताया, अवधेश बरगलाता था कि किसी महिला ने पैसों के लिए अाशीष को उठाया है

अवधेश हमारा दूर का रिश्तेदार है। उसका घर पर आना-जाना था। यहां तक कि जब आशीष पैदा हुआ था, तब भी डिस्चार्ज के समय अवधेश हमारे साथ ही घर आया था। कई बार मैं ही उसके लिए खाना बनाती थी और कपड़े भी धाे देती थी। हमें अंदाजा भी नहीं था कि वो ऐसा कर देगा। वो हमारे परिवार के सदस्य की तरह था। आशीष के गायब होने के बाद से वो रोज घर आने लगा। रोज नए-नए ढोंग रचता था। कहता था कि मैं एक तांत्रिक के पास गया था। उसने बताया कि आपके पड़ोस के घर में शादी होने वाली है। उस घर में एक महिला है। उसके चेहरे पर तिल है। वह गरीब है और पैसों के लिए उसने बच्चे को उठाया है। फिर एक दिन वो बोतल में एक तरल पदार्थ, नमकीन का पैकेट और अन्य सामान लाया और बोला कि इसे घर में छिड़क दो, बच्चा जहां भी होगा, आ जाएगा। मेरा बेटा पढ़ाई में बहुत तेज था। वो डॉक्टर बनना चाहता था। 19 दिसंबर को उसका जन्मदिन था। जन्मदिन से दो दिन पहले उसने अपने पापा से साइकिल लाने को कहा था। पापा ने कहा कि आपको डॉक्टर बनना है तो साइकिल नहीं लाऊंगा। अगर डॉक्टर नहीं बनना है तो साइकिल ले आऊंगा। इस पर आशीष ने कहा कि मुझे साइकिल नहीं चाहिए, मुझे डॉक्टर बनना है। लेकिन यह बात मेरी बड़ी बेटी गुंजन ने अवधेश को बता दी। अवधेश ने साइकिल का लालच देकर उसे अपने घर बुलाकर मार डाला।

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