नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद देश में मोटापे के खिलाफ जनभागीदारी अभियान शुरू होगा। मोटापा समस्या नहीं, बल्कि बीमारी है, लोगों तक यह संदेश पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य टीमें घर-घर जाकर दिनचर्या पर चर्चा करेंगी। ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए 700 मेडिकल कॉलेजों को जिम्मेदारी मिली है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की निगरानी में सभी एम्स भी इसमें शामिल होंगे। मंगलवार को पहली बार दिल्ली एम्स के 14 डॉक्टर मोटापे के प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
देश की आबादी में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियों सहित गैर संचारी रोगों का जोखिम भी है। सालाना मौतों में 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी इन्हीं गैर संचारी रोगों की है। अगर मोटापे से लड़ा जाए तो जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियों के बोझ से देश को बचाया जा सकता है। हाल में पीएम मोदी ने लोगों को मोटापे के खिलाफ सचेत किया था।
35 करोड़ भारतीयों की निकली तोंद : आईसीएमआर
दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक देश में सामान्यीकृत मोटापा करीब 28.6 फीसदी है, जबकि पेट का मोटापा 39.5 फीसदी है। देश मंे 35 करोड़ लोगों की तोंद निकली है। करीब 12 करोड़ लोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, देरी से सोना, 200 से ऊपर कोलेस्ट्रॉल, सीढि़यां चढ़ने या दौड़ने में सांस फूलने जैसी समस्याओं से ग्रस्त हैं।
अस्पतालों में विशेष ओपीडी, आहार का ज्ञान साथ में
आगामी दिनों में देश के सभी सरकारी अस्पतालों में मोटापे को लेकर विशेष ओपीडी संचालित होगी। यहां आहार विशेषज्ञ रोगियों-तीमारदारों को पौष्टिक भोजन की जानकारी देंगे। संतुलित भोजन और व्यायाम से कैसे स्वस्थ रहा जा सकता है, काउंसलिंग कर इसकी जानकारी दी जाएगी।