नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन का तीसरा दौर लागू है जो 17 मई तक चलेगा। अगर इसे पूरी सख्ती के साथ लागू किया गया तो अक्टूबर तक देश में कोरोना संक्रमितों की अधिकतम संख्या 30 लाख रहने का अनुमान है। लेकिन अगर इससे पहले के दो लॉकडाउन नहीं किए गए होते तो यह संख्या 17.1 करोड़ पहुंच सकती थी। मुंबई की संस्था इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) की एक स्टडी में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक लॉकडाउन के कारण देश में कोरोना संक्रमण में उल्लेखनीय कमी आई है। इसमें दावा किया गया है कि अगर लॉकडाउन को 24 मई तक बढ़ाया जाता है तो इसके बढ़ने की दर एक से भी कम (0.975) रह सकती है। इसी तरह अगर लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाया जाता है तो यह दर 0.945 होगी।

जुलाई तक 1.4 लाख हो सकते हैं संक्रमित
ऐसी स्थिति में इस महामारी का प्रकोप कम होना शुरू हो जाएगा और कोविड-19 के मरीजों की संख्या में कमी आने लगेगी। इस तरह जुलाई 2020 तक देश की 0.01 फीसदी आबादी (1.4 लाख) ही संक्रमित होगी।

आईआईपीएस के प्रोफेसर अभिषेक सिंह ने कहा, इन अनुमानों से साफ है कि लॉकडाउन ने देश में कोरोना के संक्रमण को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। लॉकडाउन के कारण देश में संक्रमितों की अधिकतम अनुमानित संख्या में 14 करोड़ की कमी आई है। शोधकर्ताओं ने लॉकडाउन से पहले और इसके दो चरणों के बाद के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। लॉकडाउन का पहला चरण 25 मार्च से 14 अप्रैल और दूसरा चरण 15 अप्रैल से 3 मई तक था।

नहीं घटी रफ्तार तो मरीज होंगे 2 करोड़ के पार
अगर लॉकडाउन के तीसरे चरण में अपेक्षित परिणाम नहीं आते हैं और कोरोना के बढ़ने की दर उसी स्तर पर बनी रहती है जिस पर यह लॉकडाउन के दूसरे चरण में थी, तो अक्टूबर तक 2 करोड़ लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की आशंका है।
3 मई तक कोविड-19 के बढ़ने की दर के आधार पर ये अनुमान व्यक्त किए गए हैं। आईआईपीएस के पब्लिक हेल्थ एंड मॉर्टेलिटी स्टडीज के शोधकर्ताओंद्वारा की गई इस स्टडी के मुताबिक लॉकडाउन से देश में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिली है।

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