दवा बनाने, तंत्र क्रिया और घर में वास्तुदोष दूर करने के लिए जंगली जानवरों की खरीद-फरोख्त बढ़ गई है। एसटीएफ को जांच में कई चौंकाने वाले प्रमाण मिले हैं। अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय तस्कर गिरोह के तार प्रदेश और शहर से जुड़े हैं। कछुए की तस्करी में अब तक तीन अलग-अलग प्रकरणों में शहर के लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि पेंगुलिन से जुड़े मामलों में शहर से मिली महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर जबलपुर, फतेहपुर (यूपी) समेत कई जगह से आरोपितों को पकड़ा गया।
बाघ को बचाने और उनका शिकार रोकने के लिए बनाए गए फोर्स ने शुरुआती दौर में प्रदेशभर में कई शहरों से बाघ से जुड़े अपराधों की जांच की। पिछले साल ही तेंदुए की खाल की तस्करी में सांवेर के कुछ लोगों को पकड़ा गया था। अधिकारियों को बाघ के नाखून और दोमुंहे सांप की तस्करी की जानकारी मिली। फिर नवंबर 2017 में इंदौर-भोपाल के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने इच्छापुर ग्राम में कार्रवाई की। वहां से दो लोगों को पकड़ा। कुछ महीने बाद कछुए की तस्करी का खुलासा हुआ। इसमें इंदौर, जबलपुर होते हुए तार गुजरात के एक गिरोह से जुड़े मिले। पूरे मामले में तीन-चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उधर सालभर पहले सरवटे बस स्टैंड पर लावारिस बॉक्स में 24 कछुए मिले थे।
केस 1 : मप्र के युवाओं से जुड़े गिरोह के तार
चंबल नदी में पाए जाने वाले रेड क्राउन रूफ टर्टल (दुर्लभ प्रजाति का पानी साफ करने वाला कछुआ) की मांग सिंगापुर-हांगकांग तक है। इस साल जनवरी में एसटीएफ ने चेन्नई से सिंगापुर में गिरोह चलाने वाले को गिरफ्तार किया था। तस्करी के इस गिरोह के तार मप्र के युवाओं तक जुड़े हैं। ये युवा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे अंतरराज्जीय गिरोह के लिए काम कर रहे हैं। चंबल से इन कछुओं को महज 3 हजार रुपए में छोटे गिरोह को बेचा जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचते ही इसकी कीमत 3500 डॉलर हो जाती है।
केस 2 : पेंगुलिन प्रकरण में अब तक 158 लोग गिरफ्तार
चीन-वियतनाम में दवा बनाने के लिए प्रदेश के पेंगुलिन की तस्करी हो रही है। इसके तार अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े हैं। 2016 में म्यांमार की एक महिला लुआगुद्दीन को स्पेशल टास्क फोर्स ने पकड़ा था। इसके बाद अवैध व्यापार में फतेहपुर (यूपी) के मो. अहमद को गुरुग्राम (हरियाणा) से गिरफ्तार किया गया। पेंगुलिन प्रकरण में अब तक 158 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रदेश की एसटीएफ पांच साल से पेंगुलिन की तस्करी में लिप्त लोगों की जानकारी जुटा रही है।
केस 3 : व्हॉट्सऐप पर तस्वीर भेजकर लेते थे ऑर्डर
शिवाजी वाटिका में दुकान संचालक के पास मार्च 2018 में आठ कोरल (समुद्री जीव) और दो पहाड़ी कछुए मिले थे। एसटीएफ की छानबीन में पता चला कि तस्करी के तार जूनागढ़ (गुजरात) से जुड़े हैं। वहां टीम ने मई में कार्रवाई करते हुए एक तस्कर को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि ये लोग व्हॉट्सऐप पर इनकी तस्वीर भेजकर ऑर्डर लेते थे।
हजार से लाखों तक पहुंच जाती है कीमत
कछुए, तेंदुए, सांप को पकड़कर गिरोह के सदस्य सिर्फ कुछ हजार रुपए में इनका सौदा करते हैं। अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचते-पहुंचते इनकी कीमत लाखों में हो जाती है। कछुए जहां 3 हजार से लेकर दो लाख में बेचे जाते हैं, वहीं पेंगुलिन का सौदा 8 हजार से सरहद पार होते हुए 5 से 10 लाख तक किया जाता है। तेंदुए और बाघ के नाखूनों की कीमत उनके खरीदारों पर तय होती है। दोमुंहा सांप एक से दो लाख में बेचा जाता है।
सिर्फ 500 कछुए बचे
चंबल में पाए जाने वाले कछुए लगातार कम हो रहे हैं। वर्तमान में सिर्फ 500 कछुए यहां बचे हैं। यही वजह है कि मुरैना में इसके लिए ब्रीडिंग सेंटर बनाया गया है। वहां इस प्रजाति के कछुओं की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
…इसलिए होती है तस्करी
वन्य प्राणियों की तस्करी अलग-अलग कारणों के लिए होती है। पेंगुलिन को चीन, वियतनाम जैसे पूर्वी एशियाई देशों में दवाइयों के लिए खरीदा जाता है। कछुए और कोरल को घर में वास्तुदोष दूर करने के लिए लोग खरीदते हैं। बाघ और तेंदुए का शिकार कर उनके अंगों की तस्करी तांत्रिक क्रिया के लिए हो रही है।
70 फीसदी प्रकरण में छोटे-बड़े गिरोह शामिल
वन्य प्राणियों की तस्करी से जुड़े 70 फीसदी प्रकरणों में बड़े-छोटे तस्कर गिरोह लिप्त हैं। इनके तार प्रदेश से जुड़े हैं। कई मामलों में अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह के लोगों को पकड़ा है। इसके लिए अब फोर्स अपना सूचना तंत्र बढ़ाने में लगा है। टीम खास तौर से दुर्लभ प्रजातियों के वन्य प्राणियों की खरीद-फरोख्त को रोकने में लगी है – रोहित सिरोटिया, प्रभारी, एसटीएफ (वन विभाग)