भोपाल। इलेक्ट्रो कनवेल्सिव थेरेपी (ईसीटी)। यह थैरेपी मानसिक रोगियों को दी जाती है। जिला अस्पताल तो दूर कुछ मेडिकल कॉलेजों में भी यह सुविधा नहीं है। इसके बाद भी इस बीमारी को आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किया गया है।
यानी योजना के तहत बीमित मरीज सिर्फ सरकारी अस्पताल में इलाज करा सकता है। बता दें कि इस थेरेपी में मरीज को बिजली के झटके दिए जाते हैं। ट्रामा, एचआईवी संक्रमण, मानसिक व न्यूरो से जुड़ी ऐसी कई बीमारियां हैं, जिन्हें सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित कर दिया गया है, पर इलाज की पूरी सुविधा नहीं है। ऐसे में मरीज इलाज के लिए परेशान होते हैं।
मरीजों की परेशानी व अस्पतालों से मिले फीडबैक के आधार पर अब शासकीय अस्पतालों के लिए आरक्षित पैकेज में संशोधन किया जा रहा है। अभी 473 बीमारियां सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित हैं। इनकी संख्या आधी करने की तैयारी चल रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा छोटे जिले के मरीजों को होगा, जहां मेडिकल कॉलेज नहीं हैं। साथ ही जिला अस्पताल में भी डॉक्टर व उपकरणों की कमी है।
प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना 23 सितंबर 2018 से शुरू की गई थी। योजना के तहत बीमित व्यक्ति का 1350 बीमारियों (पैकेज) का इलाज किया जा सकता है। बीमा की ज्यादातर राशि सरकारी अस्पतालों में ही जाए, इसलिए सरकार ने 473 बीमारियां सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित कर दी हैं। यह भी मूल्यांकन नहीं किया गया कि कौन सी बीमारी का इलाज जिला अस्पतालों में नहीं हो सकता।
ऐसे में बीमित मरीज इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं। 9 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से भी अनुबंध किया गया है, लेकिन यहां आरक्षित बीमारियों में सभी का इलाज नहीं है। लिहाजा, अब पैकेज को संशोधित करने की तैयारी चल रही है। इसका फायदा यह होगा कि छूट के बाद मरीज अनरिजर्व बीमारियों का पास के चिन्हित निजी अस्पताल में भी इलाज करा सकेंगे।
योजना के तहत पात्र परिवार के सदस्यों को हर साल 5 लाख रुपए तक के नि:शुल्क इलाज (कैशलेस) की सुविधा है। इसमें 2011 की सामाजिक, आर्थिक जनगणना में शामिल परिवार (गरीब समेत), संबल योजना व खाद्य सुरक्षा योजना के दायरे में आने वाले परिवार शामिल हैं।