इंदौर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी इंदौर में दिगंबर जैन समाज के संत आचार्य विद्यासागर महाराज का चातुर्मास 20 साल बाद इंदौर में होगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते चैमासा शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए प्रशासन के दिशा-निर्देश अनुसार किया जाएगा। इसकी तैयारियां प्रतिभास्थली तीर्थोदय धाम रेवती रेंज पर शुरू हो गई हैं। वे अपने 12 मुनियों के साथ चातुर्मास करेंगे।

यह पहला मौका होगा जब आचार्य का इंदौर के समाज को सतत 10 माह का सानिध्य मिलने जा रहा है। इससे पहले आचार्य 1999 में गोम्मटगिरि पर आए थे। इस दौरान उनका चातुर्मास भी शहर में हुआ था। इस अवसर पर उनके दर्शन का लाभ लेने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी आए थे।

इस बार उनके साथ मुनि सौम्य सागर महाराज, दुर्लभ सागर महाराज, निर्दोष सागर महाराज, निलोभ सागर महाराज, निरोग सागर महाराज, निरामय सागर महाराज, निराकुल सागर महाराज भी चातुर्मास करेंगे। इसके अलावा निरूपम सागर महाराज, निरापद सागर महाराज, शीतल सागर महाराज, श्रमण सागर महाराज, संधान सागर महाराज भी साथ रहेंगे।

मुनि संधान सागर महाराज ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का सभी धर्मों में अपना महत्व है। वैसे तो कहा ही है कि जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं हुआ।

आचार्य विद्यासागर महाराज ने गुरु पूर्णिमा पर तीन मुनियों को दीक्षा दी थी, जिनमें प्रथम मुनि संधान सागर, दूसरे मुनि संस्कार सागर व तीसरे मुनि ओंकार सागर महाराज थे। अभी आचार्य के साथ तीन में से मात्र मुनि संधान सागर महाराज हैं। शेष दो मुनिराज हाल ही में उपसंघ के साथ विहार कर रहे हैं। तीनों मुनियों का दीक्षा दिवस गुरु पूर्णिमा पर होगा।

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