भोपाल। चंबल और विंध्य में डकैतों का सफाया करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 1989 बैच के आईपीएस अफसर गाजीराम मीणा बिना डीजी बने रिटायर हो गए हैं। उनके पास इस वक्त प्रदेश में सबसे ज्यादा राष्टÑपति के वीरता पदक हैं। उनके बैच के 4 अफसर डीजी के पद पर पदोन्नत हो चुके हैं,लेकिन वे डीजी नहीं बन सके। वे एडीजी जेल के पद से आज रिटायर हो रहे हैं।
तीन वीरता पदक, सरकार ने दी थी रिवॉल्वर: गाजीराम मीणा को राष्टÑपति के वीरता के तीन पदक मिल चुके हैं। वहीं उन्हें सराहनीय सेवाओं और विशिष्ट सेवाओं के लिए भी राष्टÑपति का पुलिस पदक मिल चुका है। झाबुआ में एसपी रहने के दौरान यहां पर किए गए बेहतर कार्य के लिए उन्हें राज्य सरकार ने रिवॉल्वर भी दी थी। वे सीधी, बस्तर, झाबुआ, भिंड और ग्वालियर में पुलिस अधीक्षक रहे। इसके बाद वे पदोन्नत होकर चंबल और रीवा रेंज के डीआईजी रहे। वे रीवा रेंज के भी आईजी रहे। चंबल और रीवा क्षेत्र में रहते हुए उन्होंने यहां के डकैतों के सफाया करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रदेश में इस वक्त सबसे ज्यादा राष्टÑपति के वीरता पदक मीणा के पास ही हैं।
सरकार अस्थाई पद बढ़ाती तो मिलता प्रमोशन
गाजीराम मीणा ने डीजी के अस्थाई पदों को लेकर राज्य शासन को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने डीजी के चार अस्थाई पद बढ़ाने की बात की थी, लेकिन सरकार ने उनके पत्र पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि उनके पत्र के बाद सरकार ने डीजी के दो अस्थाई पद बढ़ाने का काम किया। इन पदों पर उनके ही बैच के संजय झा और जीपी सिंह डीजी बन गए। इस बैच में मीणा सहित चार और अफसर थे। यदि सरकार डीजी के चार अस्थाई पद बढ़ा देती तो गाजीराम मीणा भी डीजी के पद पर पदोन्नत होने के बाद रिटायर होते। मीणा की बैच के आरएस मीणा को उत्तराखंड सरकार ने आखिरी दिन डीजी का ओहदा देकर रिटायर किया था।
वी मधु कुमार हुए रिटायर
इधर वी मधु कुमार भी आज रिटायर हो रहे हैं। वे कम्युनिटी पुलिसिंग के एडीजी के पद पर पदस्थ हैं। इससे पहले वे परिवहन आयुक्त के पद पर भी रह चुके हैं। यहां से उन्हें पुलिस मुख्यालय पदस्थ किया था। तब से वे यही पर पदस्थ हैं। वी मधु कुमार ऐसे अफसरों में शुमार रहे, जिन्होंने अपनी नौकरी का अधिकांश हिस्सा मैदानी पदस्थापना में बीता। मधु कुमार 1991 बैच के अफसर हैं।