नई दिल्ली. भाजपा के ओम बिड़ला 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए। बुधवार को कार्यवाही शुरू होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक और बीजद समेत कई दलों ने इसका समर्थन किया। इसके बाद मोदी खुद उन्हें चेयर तक लेकर आए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे डर है कि बिड़लाजी की नम्रता और विवेक का कोई दुरुपयोग न कर ले। कोटा-बूंदी से सांसद बिड़ला ने मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।
मोदी ने कहा, ”ओम बिड़ला को इस पर आसीन देखना गर्व की बात है। पुराने सदस्य आपसे भली-भांति परिचित हैं। राजस्थान में भूमिका से भी लोग परिचित हैं। वे जहां से आते हैं, वो शिक्षा का काशी बन गया है। कोटा एक प्रकार से लघु भारत बन गया है। हम लोगों की एक छवि बनी रहती है कि 24 घंटे हम राजनीति करते हैं, तू-तू-मैं-मैं करते हैं। लेकिन अब हार्डकोर्ड पॉलिटिक्स का जमाना जा रहा है। बिड़लाजी की पूरी कार्यशैली समाजसेवा पर केंद्रित रही। गुजराज में जब भूकंप आया तो वे लंबे समय तक अपने इलाके के साथियों के साथ वहां रहे। जब केदारनाथ हादसा हुआ तो अपनी टोली के साथ वहां भी समाजसेवा में लग गए।”
”बिड़ला एक प्रसादम नाम की योजना चलाते हैं जिसमें गरीबों को खाना खिलाया जाता है। एक प्रकार से उन्होंने अपना केंद्र बिंदु जन आंदोलन से ज्यादा जनसेवा को बनाया। वे हमें अनुशासित करेंगे। मुझे विश्वास की सदन में वे उत्तम तरीके से चीजों को कर पाएंगे। मुझे डर है कि उनकी नम्रता और विवेक का कोई दुरुपयोग न कर ले। हम जब पिछले सत्र को याद करेंगे तो सुमित्रा जी का हमेशा मुस्कुराना और स्नेह से डांटना याद आएगा।
संघ, मोदी और शाह के करीब : बिड़ला को संघ की भी पसंद माना जाता है। मोदी और शाह से भी उनके सीधे संबंध हैं। गुजरात व बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के भी नजदीकी माने जाते हैं। बिड़ला के शाह से रिश्ते उस वक्त मजबूत हुए जब यूपीए सरकार में शाह को गुजरात से बदर किया गया। इसके बाद शाह लंबे समय तक दिल्ली में रहे। 2014 की लोकसभा में ओम बिड़ला को कई समितियों में जगह मिली थी। उन्हें प्राक्कलन समिति, याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति और सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया था।
सोशल इंजीनियरिंग : ओम बिड़ला को इस पद पर बिठाने के पीछे भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग भी रही है। बिड़ला महाजन तबके से आते हैं। महाजन तबका भाजपा का परंपरागत वोट बैंक रहा है।
25 सीटों का इनाम : इस बार राजस्थान से केंद्र में मंत्रियों की संख्या कम रही। पिछली बार राजस्थान के 6 सांसदाें काे मंत्री बनाया गया था, लेकिन इस बार सिर्फ 3 मंत्री बनाए गए। राज्य ने लगातार दूसरी बार भाजपा काे 25 में से 25 सीटें दी हैं। इस कारण भी यहां के सांसद काे लाेकसभा अध्यक्ष के पद से नवाजा गया है।
10 दिन से चल रही थी तैयारी
बिड़ला को करीब 10 दिन पहले ही पता लग गया था कि उनका नाम लोकसभा स्पीकर के लिए तय किया जा रहा है। लेकिन उन्होंने इसकी किसी को भनक तक नहीं लगने दी। उनके परिवार और स्टाफ में भी एक-दो लोगों को ही यह जानकारी इस हिदायत के साथ दी गई थी कि वे कहीं भी इसकी चर्चा नहीं करें।
ओम बिड़ला का जन्म 4 दिसंबर 1962 को कोटा में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्रसंघ चुनाव से की। बिड़ला 2003, 2008 और 2013 यानी तीन बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। 2004 से 2008 तक राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव रहे। वह 6 साल तक अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और फिर भारतीय जनता युवा मोर्चा राजस्थान प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष रहे। इस बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2,79,677 वाटों से हराया था। उन्हें कुल 8,00,051 वोट मिले थे। कोटा से वे 2014 में भी सांसद चुने गए थे।
20 जून को राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इसी दिन राज्यसभा के सत्र की शुरुआत होगी। संसद का यह सत्र 26 जुलाई तक चलेगा।
4 जुलाई: वित्त मंत्रालय का आर्थिक सर्वेक्षण आएगा।
5 जुलाई: पहली बार महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी।