नई दिल्ली. कहते हैं कि प्रकृति समय-समय पर इंसानों को ये याद दिलाती रहती है कि उन्हें इस पृथ्वी पर किराएदार की तरह रहना चाहिए, मालिक की तरह नहीं. और आज म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के रूप में एक नया रिमाइंडर आया है. म्यांमार में सुबह साढ़े 11 बजे रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता का ताकतवर भूकंप आया, जिसमें अब तक 144 लोगों को मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग लापता बताए जा रहे हैं. इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले शहर में था, लेकिन इस भूकंप के झटके भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश और चीन में भी महसूस किए गए.

भूकंप की वजह से म्यांमार में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है और अमेरिका के Geological Survey को आशंका है कि भूकंप में मरने वाले लोगों का आंकड़ा 10 हजार को भी पार कर सकता है.
म्यांमार में क्यों आते हैं इतने भूकंप?
म्यांमार दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो भूकंप के लिहाज़ से खतरनाक है और म्यांमार में हर महीने 8 भूकंप आते हैं. इसका कारण ये है कि म्यांमार से Ring of Fire की दूरी ज्यादा नहीं है, जहां पूरी दुनिया के 81 प्रतिशत भूकंप आते हैं. इसके अलावा म्यामांर Indian Plates और Sunda Plates के बीच है, जिसकी वजह से इन Plates के टकराने से म्यांमार में भूकम्प के झटके लगते रहते हैं, और इस Fault को SAGAING (सागाइंग) फॉल्ट कहते हैं.

भारत के इन शहरों में आया ऐसा भूकंप तो क्या होगा?
ऐसे में सवाल ये है कि भारत के दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु या चेन्नई जैसे शहर में रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता का भूकम्प आया तो इन शहरों का क्या होगा? अलग-अलग रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये शहर इतने ताकतवर भूकम्प को सह नहीं पाएंगे और यहां 70 से 80 प्रतिशत इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो सकती हैं. इन राज्यों में एक समस्या ये भी है कि यहां घनी आबादी रहती है और यहां 45 प्रतिशत इमारतें बिना नक्शे और अनुमति के बनाई गई हैं और इन्हें बनाने वाले ठेकेदार काबिल भी नहीं है और इनके पास लाइसेंस भी नहीं होता.
भारत को लेना चाहिए ये सबक
वर्ष 1950 में असम में 8.6 तीव्रता का भूकम्प आया था, जिसमें लगभग 5 हजार लोग मारे गए थे, अगर 7 तीव्रता का भूकम्प आता है, तो इसका मतलब ये होता है कि ये जापान के हिरोशीमा पर गिराए गए 700 परमाणु बम के बराबर है. लिहाजा भारत को म्यांमार के भूकम्प से सीख लेनी चाहिए और हमारे शहरों को इस तरह से विकसित करना चाहिए, जिससे ये भूकम्प की आपदा को सह सकें.
28 मार्च (शुक्रवार) को 8 सेकेंड को ज़लज़ला आया, जिसने दुनिया के 5 देशों को थर्राकर रख दिया. खौफ की ऐसी तस्वीरें सामने आईं कि दिल दहल गया. बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो गईं. सड़कें उखड़ गईं. हवाई यात्रा थम गई. लोग जान बचाकर भागते दिखे. भूकंप का एपिसेंटर म्यांमार के सगाइंग में है, लेकिन इसने 900 किलोमीटर दूर बैंकॉक में जबरदस्त तबाही मचाई है.
म्यांमार की राजधानी में 1000 बेड वाले अस्पताल को भारी नुकसान
म्यांमार की मीडिया के अनुसार शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंप से क्षतिग्रस्त हुई इमारतों में म्यांमार की राजधानी न्यापीताव में 1000 बिस्तरों वाला अस्पताल भी शामिल है. सेना शासित म्यांमार ने 144 लोगों के मारे जाने और 732 लोगों के घायल होने की सूचना के बाद सहायता के लिए आह्वान किया है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा- मदद के लिए जुटा रहे संसाधन
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि भूकंप के बाद जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र दक्षिण पूर्व एशिया में संसाधन जुटा रहा है. इस बीच म्यांमार के सैन्य जुंटा ने अन्य देशों से भी तत्काल सहायता मांगी है.
बैंकॉक में इमारत ढहने से 9 लोगों की मौत
बैंकॉक में 9 लोगों की मौत हो गई है. थाईलैंड में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. थाई राजधानी में पुष्टि की गई हताहतों में से 8 की मौत एक निर्माणाधीन इमारत के ढहने से हुई, जबकि नौवें व्यक्ति की मौत किसी अन्य स्थान पर हुई.
बैंकॉक में भारतीय दूतावास ने इमरजेंसी नंबर जारी किया
बैंकॉक में भारतीय दूतावास ने भूकंप से प्रभावित थाईलैंड में भारतीय नागरिकों के लिए एक इमरजेंसी नंबर जारी किया है. वे आपातकालीन स्थिति में +66 618819218 पर अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं. दूतावास ने कहा कि बैंकॉक और थाईलैंड के अन्य भागों में आए शक्तिशाली भूकंप के बाद दूतावास थाई अधिकारियों के साथ समन्वय कर स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है. अभी तक किसी भी भारतीय नागरिक से जुड़ी कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है. बैंकॉक में भारतीय दूतावास और चियांग माई में वाणिज्य दूतावास के सभी सदस्य सुरक्षित हैं