भोपाल । 28 फरवरी को वित्त मंत्री जयंत मलैया इस सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगे। बतौर मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आखिरी कार्यकाल से तुलना करें तो मप्र का बजट 15 साल में दस गुना बढ़ गया है। राज्य सरकार के खर्चे भी लगातार बढ़े हैं। सरकार के बजट का आकार 2003- 04 में 23 हजार 318 करोड़ रुपए था, जो 2018-19 के लिए दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंचने की संभावना है।

राज्य सरकार का बजट सरकारों के नए कार्यकाल में जबरदस्त तरीके से बढ़ा है। खासतौर पर 2008 के बाद से इसमें भारी इजाफा हुआ है। 2003-04 से 2007- 08 तक राज्य के बजट में चार से पांच हजार करोड़ रुपए का इजाफा ही होता रहा, लेकिन 2008-09 से हर साल सरकार का बजट 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बढ़ता गया।

वहीं 2014-15 में बजट में 2013-14 के मुकाबले करीब 28 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई। 2014-15 का बजट सरकार के मौजूदा कार्यकाल का पहला बजट था। सरकार के खर्चों में बढ़ोतरी तो हुई है, तो राजस्व संग्रहण भी साल दर साल बढ़ता गया है। 2003- 04 में सरकार विभिन्न् करों और केंद्र के अनुदान के जरिए 14 हजार 758 करोड़ कमाती थी, जबकि 2017-18 में राजस्व संग्रहण 1 लाख 39 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है।

पंद्रह साल में विभागों के बजट का आकलन करें तो सामने आता है कि राज्य सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान सामाजिक और निर्माण क्षेत्रों में रहा है। राज्य सरकार लाडली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान, छात्रवृत्ति, मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन जैसी सामाजिक सुरक्षा देने वाली योजनाओं में भारी भरकम राशि खर्च करती है।

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