भोपाल ! मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम)द्वारा आयोजित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में हुए घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ को आदेश दिए हैं कि 15 मार्च तक हर हाल में अंतिम चालान पेश कर दिया जाए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 4 मार्च को होने वाली सुनवाई में एसटीएफ बताये कि 23 फरवरी से लेकर 3 मार्च तक उसने क्या किया है कोर्ट के इस निर्देश के बाद एसटीएफ बहुत जल्दी 11 महत्वपूर्ण लोगों के खिलाफ जुर्म दर्ज कर सकती है। संभावना है कि राज्यपाल के बेटे के खिलाफ भी एफआईआर मंगलवार को हो सकती है ।
11 पर एफआईआर करने की तैयारी: बताया गया है कि एसटीएफ ने सोमवार को व्यापमं घोटाले में अदालत को बंद लिफ़ाफ़े में 17 लोगों के नाम सौंपे हैं, लेकिन पहली कड़ी में 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि इसकी तैयारी कर ली गई है और रकम किस तरह से एकत्र की जाती थी। इसकी जानकारी एकत्र करने के बाद इनके खिलाफ प्रकरण किया जाएगा। गौरतलब है कि राज्यपाल रामनरेश यादव के लड़के शैलेश का नाम भी इस घोटाले में शामिल है। संभावना है कि पहले क्रम में ही उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया जाए, हालांकि अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है कि ये 11 लोग कौन होंगे, लेकिन घोटाले में शामिल अतिविशिष्ट लोगों पर कार्रवाई की बात से अतिविशिष्ठ लोगों में हलचल मच गई है।
जानकारी दुरुस्त कर रहे हैं: सूत्रों की माने तो एसटीएफ एडीजी सुधीर कुमार शाही इस बात की सूची बनवा रहे हैं कि किस तरह से रकम एकत्र की जाती थी। और सबसे पहले किस मामले को लेकर राशि ली जाती थी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रकरण को सही तरीके से प्रकरण में पेश किया जा सके। व्यावसायिक परीक्षा मंडल का 2012 की प्री मेडीकल टेस्ट की पोस्ट ग्रेजुएट परीक्षा घोटाला से सामने आया। इस परीक्षा में बैठने वाले छात्रों से 6 महीनेे पहले पैसे जमा कर लिए गए थे। एसटीएफ की पूछताछ में कुछ आरोपियों के बयान हैं, जिसमें कहा गया कि 2012 की पीएमटी पीजी में पास होने के लिए पैसे दिए गए।
करीब 17 भर्तियों से जुड़े हैं तार: व्यापमं मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग-मेडिकल के पाठयक्रम और अलग-अलग सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करने वाली संस्था है। पिछले 10 सालों में व्यापमं ने पीएमटी से लेकर पुलिस आरक्षक, उपनिरीक्षक, परिवहन निरीक्षक, संविदा शिक्षक भर्ती सहित कई परीक्षाएं आयोजित की। इन परीक्षाओं में गड़बड़ी पर 17 एफआईआर हुई हैं। 10 सालों में आयोजित 100 से अधिक परीक्षाओं के जरिए बड़ी तादाद में अयोग्य लोगों को नौकरियां या डिग्रियां दिलवाई गईं।
इंदौर के छापे से हुई शुरूआत: इस घोटाले का पर्दाफाश साल 2013 में उस वक्त हुआ, जब इंदौर क्राइम ब्रांच, पीएमटी में फर्जी तरीके से छात्रों को पास करवाने वाले एक रैकेट तक पहुंची। जुलाई, 2013 में इंदौर में कुछ छात्र फर्जी नाम पर पीएमटी की प्रवेश परीक्षा देते गिरफ्तार किए गए। पूछताछ में पता चला कि यह नेटवर्क डॉ. जगदीश सागर चला रहा है। जगदीश के यहां पुलिस ने दबिश दी तो उसके घर पर छापेमारी में भारी मात्रा में नकदी, सोना और अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ।
और खुलती गई सारी परत: इस छापा मार कार्रवाई के बाद व्यापमं के तहत हुई परीक्षाओं में हो रहे फर्जीवाड़े की पोल खुलती चली गई। चूंकि एसटीएफ बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में हुए बीडीएस घोटाले को उजागर कर चुकी थी। इसलिए पीएमटी घोटाले की जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंप दी। एसटीएफ ने जब इस मामले में हाथ डाला तो व्यापमं घोटाले के सूत्र खुलते चले गए। जांच शुरू हुई तो पटवारी भर्ती परीक्षा, संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा, पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा, बीडीएस भर्ती परीक्षा, वन रक्षक भर्ती परीक्षा और संस्कृत बोर्ड भर्ती परीक्षा में फर्जी कारनामे सामने आए। इसकी जद में प्रदेश के कई बड़े नेता, मंत्री, नौकरशाह, रिटायर्ड जज, डॉक्टर्स आ गए। यहां तक कि घोटाले के तार राजभवन तक चले गए। इधर अब एसटीएफ, हाईकोर्ट के निर्देश बर बनी एसआईटी की निगरानी में जांच कर रही है।

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