नई दिल्ली। मध्यप्रदेश को खाद्यान्न उत्पादन के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए वर्ष 2011-12 का ‘कृषि कर्मण अवार्ड’ से नवाजा गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के हाथों यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किया। पुरस्कार के तहत दो करोड़ राशि की पुरस्कार निधि के साथ ट्राफी तथा प्रशंसा-पत्र दिया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया तथा राज्य के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री तारिक अनवर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज, वरिष्ठ बीजेपी नेता श्री एल.के. आडवाणी, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र हुड्डा तथा विभिन्न राज्य के कृषि मंत्री उपस्थित थे। भारत सरकार कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित कृषि कर्मण अवार्ड का उद्देश्य खाद्यान्न फसलों में उत्पादन वृद्धि के लिए राज्यों द्वारा किए जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।
कृषि कर्मण अवार्ड को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया। जिसके तहत मध्यप्रदेश को 80 पाईंट-खाद्यान्न उत्पादन में पिछले पाँच साल में अधिकतम उत्पादन, पिछले पाँच साल में उत्पादकता में सर्वोत्तम बढ़ोतरी, 2011-12 में उपार्जन में बढ़ोतरी के लिए तथा शेष 20 पाईंट के एन.एफ.एस.एम. वेबसाइट पर डाटा अद्यतन, प्रयोग/पहल, कृषि उत्पादन अभिलेखीकरण बढ़ाने के लिए किए गए नवाचार/पहल, मुख्य विभाग के साथ अन्तर विभागीय समन्वय और भागीदारी और पूर्वानुमान की गुणवत्ता शामिल है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011-12 के दौरान कुल 216.08 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हासिल किया जो एक अभूतपूर्व कीर्तिमान है। इससे पूर्व 2010-11 में खाद्यान्न फसलों का अधिकतम उत्पादन 166.41 लाख मीट्रिक टन था। गेहूँ के उत्पादन में भी वर्ष 2011-12 में 127.53 लाख मीट्रिक टन उत्पादन किया गया। वही गेहूँ की प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादकता वर्ष 2010-11 में 2065 किलोग्राम थी जो वर्ष 2011-12 में 2609 किलोग्राम तक पहुँच गई है।
इसके अलावा प्रदेश में कृषि विकास योजनाओं के तहत 95.87 प्रतिशत राशि का उपयोग किया गया है। साथ ही कृषकों के हित में प्रदेश में कृषि केबिनेट का गठन किया गया। किसानों को दिए जाने वाले सहकारी ऋणों पर ब्याज दर को घटाकर जीरो प्रतिशत किया गया है। किसानों को गेहूँ के उपार्जन पर 100 रु. प्रति क्विंटल तथा धान के उपार्जन पर 50 रु. प्रति क्विंटल बोनस दिया गया। अनुदान राशि सीधे कृषकों के खाते में जमा करना, अग्रिम उर्वरक भण्डारण योजना, जल क्षमता विस्तार के लिए बलराम ताल योजना, कृषि यंत्रों पर 25 प्रतिशत टाप अप अनुदान तथा राज्य सरकार की ओर से 30 प्रतिशत टाप अप अनुदान, यंत्रीकरण में वृद्धि के लिए कस्टम हायरिंग केन्द्रों का विकास, तकनीकी को प्रोत्साहित करना, किसान दीदी-किसान मित्र योजना का प्रभावी क्रियान्वयन आदि प्रदेश सरकार की ओर से उठाये गए अभिनव कदम है।