भोपाल। मध्यप्रदेश में कक्षा 10वीं की परीक्षा स्थगित कर छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन दिया गया है। रिजल्ट को लेकर भी एमपी बोर्ड ने मापदंड तय किए हैं। छात्रों के रिजल्ट के लिए एमपी बोर्ड ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि 10वीं का रिजल्ट बीते 2-3 सालों के औसत रिजल्ट से 2 से 3 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।कक्षा दसवीं का रिजल्ट छात्र-छात्राओं की छमाही परीक्षा, रिवीजन टेस्ट, प्री बोर्ड परीक्षा, आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर तैयार किया जा रहा है। एमपी बोर्ड ने निर्देश दिए है कि इस बार का रिजल्ट बीते दो-तीन सालों के औसत रिजल्ट से दो से 3 फीसदी ज्यादा नहीं होना चाहिए। स्कूलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इस बार तो रिजल्ट बीते साल के मुकाबले बेहतर आना ही है, क्योंकि पिछली बाकी सभी परीक्षाओं का रिजल्ट बेहतर रहा है। साल भर से स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लासेस चल रही है तो रिवीजन टेस्ट, छमाही और प्री-बोर्ड परीक्षाएं ओपन बुक सिस्टम से ही हुई है।
ज्यादातर निजी स्कूलों में नही हुआ आंतरिक मूल्यांकन
मध्यप्रदेश में कक्षा 10वीं के रिजल्ट को लेकर निजी स्कूलों के सामने सबसे बड़ी समस्या यही है कि ज्यादातर स्कूलों में आंतरिक मूल्यांकन हुआ ही नहीं है। अब ऐसे में आंतरिक मूल्यांकन के अंक विद्यार्थियों के अंक कैसे दिए जाएंगे। शिक्षकों के सामने मूल्यांकन को लेकर सबसे बड़ी समस्या यही थी। शिक्षको ने बीते सालों के परफॉर्मेंस के हिसाब से अंक देने की तैयारी की है।
15 जुलाई तक 10वीं का रिजल्ट आने की संभावना
मध्यप्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते कक्षा दसवी और कक्षा 12वीं की परीक्षा स्थगित कर दी गई थी। परीक्षाएं स्थगित कर छात्र छात्राओं को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा था कि रिजल्ट को लेकर तैयारियां की जा रही है। जुलाई के आखिरी हफ्ते तक कक्षा 12वीं का रिजल्ट आ सकता है। तो वहीं कक्षा दसवीं का रिजल्ट 15 से 20 जुलाई के बीच जारी करने को लेकर तैयारियां की जा रही है।