इंदौर। आदिवासी बहुल आलीराजपुर जिले में रेल लाइन पहुंचने के बाद अब स्थानीय बाशिंदे पहली ट्रेन शुरू होने की राह तक रहे हैं। रेल अफसरों का कहना है कि छोटा उदयपुर से आलीराजपुर के बीच अधिकतम दिसंबरतक ट्रेन चलाने की तैयारी है। इससे पहले पश्चिम रेलवे को कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) से विधिवत अनुमति लेना होगी। अब रेलवे का ध्यान आलीराजपुर से जोबट तक रेल लाइन बिछाने पर है। रेलवे मुख्यालय ने मार्च-19 तक आलीराजपुर से जोबट के बीच रेल लाइन बिछाने का लक्ष्य दिया है। छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन का काम करीब 10 साल पहले छोटा उदयपुर तरफ से शुरू हुआ था। इस दौरान कई अड़चनों से पाला पड़ा।

कभी जमीन अधिग्रहण में बहुत समय लगा तो कहीं भाले और तीर-कमान लेकर आए आदिवासी भीलों ने रेल लाइन का काम रुकवा दिया। तमाम बाधाएं पार करने के बाद आखिरकार रेल लाइन बिछकर तैयार है। रेल अफसरों की मानें तो अगले दो-तीन महीने में कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) से छोटा उदयपुर से आलीराजपुर तक बिछाई गई लाइन का निरीक्षण करवा लिया जाएगा और उनकी अनुमति के बाद इसी साल कभी भी नई ट्रेन चला दी जाएगी। छोटा उदयपुर से आलीराजपुर की दूरी करीब 50 किमी है और इस हिस्से में लाइन बिछाने पर 364 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।

अब पश्चिम रेलवे के निर्माण विभाग ने आलीराजपुर से जोबट के बीच करीब 21 किमी लंबे हिस्से में रेल लाइन संबंधी काम तेज कर दिए हैं। यदि तेज गति से काम होता रहा तो मार्च19 तक आलीराजपुर से जोबट के बीच लाइन बिछाने का ज्यादातर काम पूरा कर लिया जाएगा। सर्वे भी नहीं करने देते थे आदिवासी पश्चिम रेलवे वडोदरा में निर्माण विभाग के डिप्टी चीफ इंजीनियर (अब रिटायर्ड) रह चुके केसी चौहान ने बताया कि छोटा उदयपुर से आलीराजपुर के बीच सर्वे, जमीन अधिग्रहण और लाइन बिछाने के लिए जब भी रेलवे की टीमें मौके पर जाती वहां आदिवासी तीर-कमान, भाले आदि लेकर आ जाते थे।

वे काम नहीं करने देते थे। ऐसा अलग-अलग हिस्सों में कई बार हुआ जिससे लगभग दो साल तक काम नहीं हो सका। कुछ निजी जमीन मालिकों ने रेलवे से मुआवजा तो ले लिया लेकिन जब जमीन पर काम करना चाहा तो विरोध करने लगे। बाद में स्थानीय सांसद, पूर्व सांसद, गांवों के सरपंच, कलेक्टर, तहसीलदार और पटवारियों को लेकर आदिवासियों के साथ बैठकें की गईं और आखिरकार रेल लाइन बिछ गई।

अब नहीं बनाना होगी एक भी सुरंग

चौहान के मुताबिक पहले छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन प्रोजेक्ट के तहत 16 किमी लंबी 11 सुरंगें बनना थीं और यह बेहद समय खपाने वाला और खर्चीला काम है। रेलवे ने लाइन के लिए दोबारा सर्वे कर पहले छह-सात सुरंगें कम कीं और बाद में प्रोजेक्ट से सभी 11 सुरंगें हटा दीं। अब यह लाइन बिना सुरंगों के बनेगी जिससे काम जल्द पूरा हो सकेगा।

कले जैसा होगा स्टेशन रेलवे सूत्रों ने बताया कि आलीराजपुर में निर्माणाधीन रेलवे स्टेशन की मुख्य टर्मिनल बिल्डिंग को आलीराजपुर के किले जैसी शक्ल दी जाएगी। यही किला आलीराजपुर की ऐतिहासिक झलक दिखाता है। उम्मीद है कि स्टेशन बिल्डिंग का काम भी जल्द पूरा होगा। वहां दो प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे।

वडोदरा की दूरी घटेगी वर्तमान में उज्जैन, रतलाम, दाहोद होते हुए इंदौर-वडोदरा की दूरी करीब 400 किमी है जो धार-छोटा उदयपुर लाइन से घटकर करीब 325 किमी होगी। छोटा उदयपुर से प्रताप नगर होते हुए वडोदरा तक पहले ही बड़ी लाइन बिछ चुकी है। इससे यात्रियों का एक घंटा बचेगा और पीथमपुर से कंटेनर सीधे मुंबई भेजे जा सकेंगे। धार में यह लाइन इंदौर-दाहोद लाइन से जुड़ेगी।

काम पूरा हो गया

छोटा उदयपुर से आलीराजपुर के बीच इंजन पहले ही चल चुका है। ट्रैक लिंकिंग का काम पूरा हो चुका है। दो-ढाई माह में कमिश्नर रेलवे सेफ्टी का निरीक्षण हो जाए तो ट्रेन चलाने की मंजूरी मिल जाएगी। – एससी बैरवा डिप्टी चीफ इंजीनियर, वडोदरा

दिसंबर तक चल सकेगी ट्रेन

छोटा उदयपुर से आलीराजपुर के बीच दिसंबर-18 तक यात्री ट्रेन चलाने का लक्ष्य है। आलीराजपुर से जोबट तक रेल लाइन बिछाने का काम मार्च-19 तक पूरा होने की उम्मीद है। ट्रेन चलाने की अनुमति रेलवे बोर्ड और पश्चिम रेलवे मुख्यालय देंगे। – खेमराज मीणा, रेलवे जनसंपर्क अधिकारी, वडोदरा

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