जबलपुर. ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर तमाम याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक को बरकरार रखा. इस मामले में प्रदेश सरकार ने कहा कि मध्य प्रदेश में आबादी के लिहाज से सरकार ओबीसी वर्ग को आरक्षण देना चाहती है. चूंकि मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, इस लिहाज से ओबीसी वर्ग को बढ़े हुए आरक्षण का फायदा दिया जाना चाहिए .
मामले में याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि हाल ही में मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच द्वारा निर्णय दिया गया है. साथ ही बताया गया है कि किसी भी लिहाज से आबादी के परिपालन में आरक्षण नहीं दिया जा सकता. वर्ष 1993 में इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट का न्याय द्रष्टांत है कि आबादी के लिहाज से आरक्षण का प्रावधान नहीं है. दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर को सभी याचिकाओं पर अंतिम बहस की तारीख मुकर्रर कर दी है. इसके बाद हाईकोर्ट मामले पर फैसला सुना सकता है.
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को आरक्षण का प्रतिशत 14ः से बढ़ाकर 27ः कर दिया गया था, जिसे अलग-अलग वर्गों द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. मेडिकल स्टूडेंट आशिता दुबे द्वारा सबसे पहले इस मामले पर याचिका दायर की गई थी, उसके बाद बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर रोक जारी है.