नई दिल्ली/इस्लामाबाद. पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने देश में बढ़ते मदरसों और उनमें दी जाने वाली तालीम पर सवालिया निशान लगा दिए। बाजवा ने शुक्रवार को कहा, “ऐसी जगह (पाकिस्तान के मदरसों) पढ़ने वाले बच्चे या तो मौलवी बनेंगे या आतंकवादी। क्योंकि, पाकिस्तान में इतनी मस्जिद नहीं बनाई जा सकतीं की मदरसे में पढ़ने वाले हर बच्चे को नौकरी मिल सके।” आर्मी चीफ का ये बयान हैरान करने वाला है। दरअसल, ऐसा कम ही होता है कि पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी देश में आर्मी चीफ देश के मदरसों पर ही सवाल उठा दे। ये इसलिए भी अहम है कि पाकिस्तान के मदरसों को लेकर पहले ही कई विवाद सामने आते रहे हैं।

सिर्फ मजहबी तालीम नहीं, वर्ल्ड क्लास एजुकेशन चाहिए
– शुक्रवार को एक यूथ कॉन्फ्रेंस में बाजवा ने कहा, “मदरसों में बच्चों को सिर्फ मजहबी तालीम दी जाती है। यहां के स्टूडेंट्स बाकी दुनिया के मुकाबले काफी पीछे रह जाते हैं। अब जरूरत है कि मदरसों के पुराने कॉन्सेप्ट को बदला जाए। बच्चों को वर्ल्ड क्लास एजुकेशन दी जाए।”
– बाजवा ने कहा, “सिर्फ मदरसे में मिली तालीम से बच्चों का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि यहां दुनिया में क्या चल रहा है? इस बारे में कुछ भी नहीं बताया जाता।”
– “देवबंद मुस्लिमों द्वारा चलाए जा रहे मदरसों में अभी करीब 25 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। ये खराब एजुकेशन की वजह से पिछड़ते जा रहे हैं।
– हालांकि, पाक मिलिट्री के मीडिया विंग ने प्रेस रिलीज में बाजवा के मदरसों पर दिए सेंसिटिव बयानों को जगह नहीं दी।
आर्मी के रोल की भी की चर्चा
– बाजवा ने कहा, “मुझे डेमोक्रेसी में भरोसा है। आर्मी देश की सिक्युरिटी और डेवलपमेंट में अपना रोल निभाती रहेगी।”
– “आर्मी देश की सेवा के लिए बनी है। हम देश के लिए अपना काम जारी रखेंगे।”

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