ग्वालियर। बच्चे के प्रति माँ का यह स्नेह परमात्मा का प्रकाश है। मातृत्व को इस धरती पर देवत्व का रूप हासिल है। माता त्याग की प्रतिमूर्ति है। अपनी आवश्यकताओं, इच्छाओं, सुख-सुविधाओं तथा आकांक्षाओं का त्याग कर वह अपने परिवार को प्रधानता देती है। हमारी जन्मभूमि भी हमारी माँ है, जो सब कुछ देकर भी हमारी प्रगति से प्रसन्न होती है। यह विचार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने आज रविवार को तानसेन नगर स्थित न्यू कॉलोनी में धर्मचर्चा में व्यक्त किये। मुनिश्री विजयेश सागर महाराज भी मोजूद थे।

मुनिश्री ने कहा बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए। माता-पिता का आचरण अच्छा होना चाहिए। बच्चों को रोजाना मंदिर ले जाएं, जिससे वे संस्कारवान बनें। माता का कर्तव्य केवल लालन-पालन व स्नेह दान तक ही सीमित नहीं है। बालक को जीवन में विकसित होने, उत्कर्ष की ओर बढाने के लिए भी माँ ही शक्ति प्रदान करती है। उसे सही प्रेरणा देती है।

मुनिश्री ने एक प्रसंग बताते हुए कहा कि एक परिवार का मुखिया अपने तीन मासूम बच्चों के सामने पशुओं को काटता था। । एक दिन सबसे छोटे दो वर्षीय बच्चे को मां टब में नहला रही थी। नहलाते हुए मां कुछ लाने भीतर चली गई। चार और छह साल के दो बच्चे पास में ही खेल रहे थे। एक बच्चा पशु को काटने का खेल खेलने लगा और तेज हथियार से छोटे भाई पर वार किया। उसकी मौत हो गई। चीख सुनकर मां दौडी। बच्चे को लगा कि मां उसे मारेगी। डर के मारे वह छत से कूद गया। जिस छोटे मासूम को टब में नहला रही थी, उसकी भी डूबने से मौत हो गई। एक पल में ही तीनों बच्चे दुनिया छोडकर चले गए। इसका कारण पिता द्वारा बच्चों के सामने रोज की जा रही पशु हिंसा थी। कर्म का फल यहीं मिलता है, इसलिए सदैव अहिंसा करने की सोचो। हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि परिवार समाप्त हो जाते हैं।

मुनिश्री ने कहा कि लोग तर्क करते हैं कि अन्य जीवों को मारने के लिए ही बनाया गया है। यह अच्छी बात नहीं है। भगवान ने मनुष्य को इसलिए नहीं बनाया कि वह जीवों की हत्या करे। प्रकृति ने सबसे पहली व्यवस्था पशुओं के लिए की है। घास और अन्य फलों का सेवन पशु निश्चित होकर करते हैं। कभी जीव हत्या न करें।

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज कोरोना वायरस को हराने के लिए प्रतिदिन अनुष्ठान कर रहे है! इसी के दौरान आज मुनिश्री विहर्ष सागरजी ने विशेष मंत्रो का उच्चारण कर भगवन शांतिनाथ का अजय जैन व विजय जैन अमन जैन ने अभिषेक ओर शांतिधारा की!

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