भोपाल ! प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने राज्य की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने का दावा किया है। उन्होंने कहा, कि स्वास्थ के क्षेत्र में नवाचारों के चलते प्रदेश कई मामलों में देश के अन्य राज्यों से आगे है। मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहां स्वास्थ्य सेवा गारंटी योजना लागू की गई है और सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवाओं का वितरण किया जा रहा है। अपने विभाग की उपलब्धियों का ब्यौरा मीडिया को देते हुए डॉ. मिश्रा ने बताया, कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में न सिर्फ प्रतिदिन 5 लाख से अधिक लोगों को निशुल्क दवाइयों का वितरण किया जा रहा है, बल्कि रोजाना 75 हजार लोगों की निशुल्क स्वास्थ जांच भी की जा रही है। उन्होंने बताया, कि 108 एबुलेंस सेवा का लाभ अब तक 1 करोड़ लोगों को मिल चुका है, बल्कि महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ और सुरक्षा के लिए गौरवी और ममता जैसे अभियान भी शुरू किए गए। स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार के चलते ही सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जनता का भरोसा बढ़ा है। यही कारण है, कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों और संस्थागत प्रसव मामलों में इजाफा हुआ है।
किसी को सरकारी अस्पतालों के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता: स्वास्थ्य मंत्री से जब पूछा गया कि यदि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं और आम जनता का इनके प्रति भरोसा बढ़ा है, तो राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री और अधिकारी निजी अस्पतालों का रुख क्यों करते हैं, इस पर उनका जवाब था कि किसी को सरकारी अस्पतालों में जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
नागार्जुन से कोई डील नहीं: डा. मिश्रा ने कहा है कि मैंने नागार्जुन प्राइवेट लिमिटेड से कोई डील नहीं की थी, यह बात जांच में भी साबित हो चुकी है। मालूम हो कि आयकर विभाग ने एक छापे की कार्रवाई में मुकेश शर्मा नाम के व्यक्ति के पास से एक डायरी बरामद की थी, इस डायरी में दर्ज तथ्यों के आधार पर कथित तौर पर तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी संदेह के दायरे में आए थे।
आयकर विभाग ने अपनी जांच में पाया था कि नागार्जुन नाम की कंपनी ने 14 करोड़ 24 लाख रुपये डबरा के बैंक खातों में जमा किए थे, इन खाताधारियों का कोई अता पता नहीं था। जांच में पाया गया कि इस राशि से भोपाल के पास रतनपुर में जमीन खरीदी गई है। इस मामले में मिश्रा भी संदेह के घेरे में आए थे। वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री जब अपने विभाग का एक वर्ष का ब्यौरा पेश कर रहे थे तब उनसे पूछा गया कि नागार्जुन मामले का क्या हुआ तो उनका कहना था कि उन्होंने नागार्जुन कंपनी से कोई डील नहीं की है, यह बात जांच में साबित भी हो चुकी है।

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