इंदौर। निजी व सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम आयोग के माध्यम से इंदौर में पहली बार निगरानी समिति का गठन किया जा रहा है। आयोग की गाइडलाइन के आधार पर 15 दिन में समिति बनाई जाएगी। इसके साथ ही आयोग राज्यस्तरीय समिति भी बनाएगा। इसमें मनोचिकित्सक भी शामिल किए जाएंगे, ताकि वे तनाव के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाने वाले बच्चों को पहले से पहचान सकें और उन्हें समझाइश दे सकें।
डीपीएस बस हादसे के बाद पालक संघ ने कलेक्टर से निगरानी समिति के कार्यों की जानकारी मांगी थी। इसमें पता चला कि समिति का गठन ही नहीं किया गया। इसके बाद इसकी शिकायत आयोग से की गई। तब आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने इंदौर का दौरा कर जिला पंचायत सीईओ व अन्य अधिकारियों से चर्चा कर शीघ्र ही समिति बनाने की बात कही। इसके बाद प्रशासन ने भी इसे शीघ्र बनाने के आदेश जारी किए थे।
समिति में होंगे प्रशासनिक अधिकारी
समिति में शिक्षा विभाग, जिला पंचायत, कलेक्टोरेट सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। ये निजी व सरकारी स्कूलों में जाकर व्यवस्थाएं देखकर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
तीन महीने में होगी समीक्षा
समिति स्कूलों में शिक्षक के काम करने के रवैए से लेकर, खाना बनने का स्थान व शुद्धता, बालक-बालिकाओं व कर्मचारियों के शौचालय अलग-अलग हैं या नहीं, बसों की स्थिति सहित अन्य बातें देखेगी। हर तीन महीने में इसकी समीक्षा की जाएगी। गड़बड़ी मिलने पर समिति स्कूल की मान्यता तक निरस्त कर सकती है।
अधिकारियों के पास गाइडलाइन ही नहीं
पालक संघ के विनोद दुबे ने बताया कि समिति नहीं बनने को लेकर जिला पंचायत सीईओ ने जिला शिक्षा अधिकारी से पूछताछ की तो पता चला कि अधिकारी के पास गाइडलाइन ही नहीं थी। इसके बाद पालकों ने ही 88 पेज की गाइडलाइन की प्रति उपलब्ध कराई। साथ ही एक कॉपी जिला पंचायत सीईओ को भी भेजी है।
एसोसिएशन नहीं करता ठीक से काम
आयोग ने यह भी माना कि निजी स्कूलों द्वारा बनाया गया पैरेंट्स-टीचर एसोसिएशन सही ढंग से काम नहीं करता है। इसमें अधिकतर स्कूल अपने ही लोगों को शामिल करता है। पैरेंट्स शिकायत करते भी हैं तो कार्रवाई नहीं होती, उलटे स्कूल प्रबंधन पालक पर ही हावी होने की कोशिश करता है, इसलिए निगरानी समिति बनाना आवश्यक है, जो आयोग के नियमों के आधार पर काम करे।
इंदौर में बन रही समिति
बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत गाइडलाइन बनी हुई है, जिसके आधार पर निगरानी समिति का गठन किया जाना था, लेकिन अब तक किसी भी जिले में इस प्रकार की समिति नहीं बन पाई। इंदौर पहला जिला है, जहां इस तरह की समिति बनाने की तैयारी की जा रही है। – डॉ. राघवेंद्र शर्मा, अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम आयोग, मप्र