लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल ने वाराणसी कैण्ट इलाके से सेना एवं पुलिस अधिकारी बताकर भर्ती कराने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले जालसाज को आज गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। एसटीएफ प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसटीएफ को  पिछले कुछ दिनों से वाराणसी एवं आस-पास के जिलों में आर्मी में भर्ती कराने के नाम पर एक गिरोह के सक्रिय होने की इनपुट ‘मिलिट्री इन्टेलीजेन्स’ (एमआई) वाराणसी को प्राप्त हुआ था। इस सम्बन्ध में वाराणसी एसटीएफ फील्ड इकाई, वाराणसी को अभिसूचना संकलन एवं कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया था।

  इस क्रम में वाराणसी एसटीएफ फील्ड इकाई ने अभिसूचना संकलन एवं छानबीन प्रारम्भ की। अभिसूचना संकलन के दौरान ज्ञात हुआ कि राजवीर सिंह उर्फ आनन्द कुमार नाम का व्यक्ति है, जो अपने को आर्मी का फर्जी कैप्टन बताकर आर्मी में भर्ती कराने के नाम पर व आर्मी कैण्टीन में सामान निकलवाने के नाम पर ठगी करता है। उन्होंने बताया कि जालसाज ओएलएक्स के माध्यम से सामान बेचने के बहाने से लोगों को विश्वास दिलाने के लिए आर्मी की वर्दी पहन कर कैप्टन के रूप में अपनी जान पहचान बढ़ाता है। सूचना संकलन के क्रम में आज सूचना प्राप्त हुई कि आर्मी में भर्ती के नाम पर ठगी करने वाला राजवीर सिंह उर्फ आनन्द कुमार कैप्टन की वर्दी में थाना कैण्ट इलाके में  सेण्ट मेरी स्कूल के पास खड़ा है और कुछ लड़को को आर्मी में भर्ती के नाम पर उन्हें बुलाया है।  

इस सूचना  एसटीएफ के निरीक्षक अनिल सिंह के नेतृत्व में गठित टीम ने फर्जी कैप्टन आनन्द कुमार उर्फ राजवीर सिंह रघुवंशी निवासी शिपुर कोट गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से दो मोबाइल फोन,तीन आर्मी भर्ती के फर्जी एडमिट कार्ड, फर्जी डीएल,आर्मी कैप्टन की वर्दी ,मोटरसाइकिल तथा कैप्टन की वर्दी में खिचवाया गये फोटो के अलावा फर्जी तरीके से डिप्टी एसपी के पद पर चयन की पेपर कटिंग, आर्मी की वर्दी,आर्मी का लोगो और पांच मुहर बरामद की गई। गिरफ्तार प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार फर्जी कैप्टन ने पूछताछ एवं  सूचना संकलन से पाया गया गया कि यह एलएलबी तृतीय सेमेस्टर का छात्र है।

  इस जालसाज ने वर्ष 2008 में आर्मी में सिपाही की भर्ती के लिये प्रयास किया था, लेकिन सफल नहीं हुआ था। इसके बाद उसने बेरोजगार युवको को आर्मी में भर्ती कराने के नाम पर ठगी करने की योजना बनायी गयी। योजना के मुताबिक पहले आर्मी कैप्टन की वर्दी बनवायी गयी और अपने आस-पास के लोगों को विश्वास दिलाया गया कि वह आर्मी में कैप्टन है। इसके बाद राजवीर सिंह उर्फ आनन्द कुमार का अमरनाथ यादव निवासी भिटारी थाना लोहता जनपद वाराणसी से मुलाकात हुई और खुद को कैप्टन बताते हुये आर्मी में भर्ती कराने की बात कही गयी। उन्होंने बातया कि उसके बाद अमरनाथ यादव एवं अभ्यर्थियों को विश्वास दिलाने के लिये आर्मी कैप्टन की वर्दी पहन कर अमरनाथ यादव के घर पर मुलाकात की और आर्मी में भर्ती के नाम पर 07 लोगों से चौदह लाख रूपये की ठगी की।  

इनके अतिरिक्त इसने सुधाकर वर्मा, रजनीश और दिव्या से दस लाख और अजय कुमार से डेढ़ लाख रूपये मिलिट्री कैण्टीन से सामान निकालने के नाम पर भी ठगी किये थे। बाद में इसकी पत्नी एवं आस-पास के लोगों को इसके फर्जी आर्मी कैप्टन होने का संदेह होने लगा। इसी दौरान वर्ष 2020 में पीसीएस, वर्ष 2017 का परिणाम आया था, जिसमें आनन्द कुमार निवासी लंका वाराणसी नामक व्यक्ति का 62वीं रैंक आया था और इनका सलेक्षन डिप्टी एसपी के पद पर हुआ था। इसकी जानकारी होने पर राजवीर सिंह उर्फ आनन्द कुमार ने अपने नाम का फायदा उठाकर समाचार पत्र के कार्यालय में जाकर अपना फोटो व पता देकर समाचार छपवाया कि उसका डिप्टी एस पी के पद पर नियुक्ति हुई है। इसके बाद यह आर्मी कैप्टन एवं डिप्टी एस पी के रूप में ठगी करने का प्रयास करने लगा।  

प्रवक्ता ने बताया कि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में इसने ओएलएक्स ऐप पर आर्मी का लोगो लगाकर अपनी आई डी बनायी थी और अपना एक मोबाइल फोन को बेचने के लिये ओएलएक्स पर डाला था। इस मोबाइल फोन को खरीदने के लिये एक लड़की द्वारा रिक्वेस्ट भेजा गया। इस पर राजीवर ंिसह उर्फ आनन्द कुमार ने उसको सिगरा स्थित बाटा शू के शोरूम पर बुलाया गया और वहॉं आर्मी कैप्टन के वर्दी में उस लड़की से मिला और अपनी नियुक्ति 39 जीटीसी कैण्टोमेण्ट वाराणसी मे होना और मूल निवासी हैदराबाद का बताया। इसके बाद दोनों में जान पहचान हुई और बाद में राजवीर सिंह उर्फ आनन्द कुमार ने उसको धोखे में रखकर उससे शादी कर ली थी। इस धोखे की बात संज्ञान में आने पर उसकी पत्नी ने थाना लोहता पर मुकदमा पंजीकृत कराया गया था। राजवीर सिंह उर्फ आनन्द कुमार आज ठगी की मंशा से कैण्टोमेण्ट एरिया कुछ लोगों से मिलने के लिये आया था कि गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में मामला दर्ज करा दिया गया है। गिरफ्तार जालसाल को अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया।

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