भोपाल।     मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि स्वर्गीय सुदर्शन जी प्रेरणादायी विचारों के वाहक थे। उनके बताए मार्ग के अनुसरण में मानव जीवन की सार्थकता है। श्री सुदर्शन जी के सद्विचारों को अपनाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्री चौहान आज यहाँ समन्वय भवन में तरूण भारत नागपुर द्वारा प्रकाशित स्मृति.ग्रंथ सु.दर्शन के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में हिन्दी विश्वविद्यालय का गठनए जैविक खेती का प्रसारए स्वावलंबी गांवए नौजवानों को कार्य के अवसर देने और गौ.संरक्षण संवर्धन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में स्वर्गीय सुदर्शन जी के चिंतन को मूर्तरूप देने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये जैविक बोर्ड का गठन किया गया है। मध्यप्रदेश को जैविक राज्य बनाने के प्रयास हो रहे हैं। जैविक खेती को मिशन के रूप में ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुदर्शन जी कहते थे कि प्रकृति से उतना ही लो जिसकी भरपाई हो सके।

उन्होंने कहा कि सुदर्शन जी के हिन्दी और स्वदेशी के प्रति आग्रह से सभी परिचित हैं। गौ मूत्र से ऊर्जाए गोबर से टाइल्स के प्रयोग आदि सुदर्शन जी दिखाते रहते थे। उनकी प्रेरणा से राज्य में गौ संरक्षण के लिये विश्व का पहला गौ अभ्यारण्य 24 दिसम्बर को शाजापुर में प्रारंभ हो रहा है। हिन्दी विश्वविद्यालय में हिन्दी माध्यम से तकनीकीए चिकित्सा विज्ञान आदि सभी विषयों की शिक्षा मिलेगी।

श्री चौहान ने कहा कि विवेकानंद युवा केन्द्रों का गठन किया जा रहा है। ये केन्द्र युवाओं को रचनात्मक कार्यों से जोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार के नये अवसर मिलें। गाँव स्वाबलंबी बने इसके लिये लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के कदम उठाए गए हैं। इंदौर में ग्लोबल समिट का पहला दिन लघु एवं कुटीर उद्यमियों के लिये आरक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि लघु ग्रामीण उद्योगों की स्थापना में युवाओं को बैंक ऋण प्राप्त करने में सहूलियत के उद्देश्य से राज्य सरकार ऋण गारंटी देने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि सुदर्शनजी की भावना को आत्मसात करते हुये तय किया है कि राज्य में ऐसे उद्योग की स्थापना की अनुमति नहीं दी जाएगी जो नदियों के जल को प्रदूषित करते हैं।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघकार्यवाह श्री भैया जी जोशी ने कहा कि सुदर्शन जी ने अपने व्यवहार और आचरण से नैतिक शब्दों के अर्थ स्थापित किए। उनके जीवन में सामाजिक जीवन के सारे आदर्श मापदण्डों को देखा जा सकता है। वे जो कहते थे उसका संकल्प हृदय में धारण कर उसकी प्राप्ति के लिये पूरा परिश्रम करते थे। उन्होंने सारे समाज को जोड़ने के प्रयास किए। वे देश समाज के लिये प्रश्न नहीं खड़े करते थे। प्रश्नों के हल खोजते थे। सामाजिक जीवन में कैसा व्यक्तित्व होना चाहिए इस प्रश्न का उत्तर सुदर्शन जी थे। उनके व्यक्तित्व की पारदर्शिताए प्रमाणिकताए निर्मलता एवं खुला अंतःकरण अद्भुत था।

एनण्सीण्ईण्आरण्टीण् के पूर्व अध्यक्ष श्री जेण्एसण् राजपूत ने कहा कि सुदर्शन जी भारतीय व्यक्तित्व का स्वरूप थे। विमोचन कार्यक्रम में पद्म श्री मुज़फ्फर हुसैन ने सुदर्शन जी के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामो पर भावपूर्ण उद्बोधन दिया।

स्मृति ग्रंथ की प्रस्तावना श्री विश्वास पाठक ने प्रस्तुत की। आभार प्रदर्शन श्री विलास डांगरे ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री लक्ष्मणेन्द्र माहेश्वरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री अजय नारंग ने किया।

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