भोपाल ! मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रहे केद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को व्यापमं में हुई मौतों पर से रहस्य उठाने पर कितना समय लगेगा। यह प्रश्न सभी के मष्तिष्क में हिलौरे ले रहा है। सीबीआर्ई अपने अभियान में जी जान से जुटी हुई है। लेकिन देश की नजरें सफलता पर टिकीं हैं।
वर्ष 2012 में हुई पीएमटी में गड़बड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में 587 लोगों के खिलाफ आरोपी बनाया गया है। वहीं एक अस्वाभाविक मौत को भी प्रारंभिक जांच (पीई) के दायरे में लिया है। सीबीआई के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2012 में हुई पीएमटी में रोल नंबर आबंटन, ओएमआर शीट और अन्य गड़बडिय़ों में लिप्त व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक पकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महेंद्रा, तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओ पी शुक्ला सहित 587 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, परीक्षा मान्यता अधिनियम, सहित विभिन्न भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
इस मामले में एसटीएफ 30 अक्टूवर 2013 को भोपाल में प्रकरण दर्ज किया था। वहीं सीबीआई ने पशु चिकित्सा महाविद्यालय महू इंदौर के छात्र विकास सिंह की अस्वाभाविक मौत को प्राथमिक जांच में लिया है। उसकी मौत की वजह व्यापमं या कुछ और थी यह सीबीआई जांच करेगी। विकास के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज थी।
सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर व्यापमं घोटाले की जांच नौ जुलाई को शुरू की थी। सीबीआई अब तक 19 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है। गौरतलब है कि जांच एजेंसी ने न्यायालय को बताया कि व्यापमं से जुड़े 185 मामले हैं और वह सभी मामलों को छह से आठ सप्ताह के भीतर अपने हाथ में ले लेगी।
इन 185 मामलों में से 73 मामले परीक्षा में नकल से संबंधित हैं, जिन्हें वह बाद में जांच के दायरे में लेगी। हालांकि सीबीआई की इस दलील से सर्वोच्च न्यायालय संतुष्ट नहीं दिखा और उसे सभी मामलों को तीन सप्ताह में अपने हाथ में लेने का आदेश दिया।